कभी एक थे महेंद्र और ओपी राजभर
चार महीने पहले तक ओपी राजभर और महेंद्र राजभर एक ही पार्टी में थे। महेंद्र की गिनती ओपी के सबसे करीबी में होती थी। उन्हें सुभासपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। वर्ष 2017 में महेंद्र सुभासपा के टिकट पर मऊ से चुनाव लड़े थे। उस समय पीएम मोदी ने एक सभा में उन्हें कटप्पा का नाम दिया था। अब सुभासपा से अलग होकर महेंद्र ने सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी बना लिया है।
जब मिली थी 17 सीट तब क्यों याद नहीं आए कार्यकर्ता
महेंद्र राजभर ने कहा कि वर्ष 2022 के चुनाव में सुभासपा का सपा से गठबंधन हुआ तो 17 सीटें मिली थी। उस समय बाप-बेटे चुनाव लड़ लिए। बाकि किसी कार्यकर्ता की याद क्यों नहीं आई। तब खुलेआम ओपी राजभर ने टिकट बेचने का काम किया। तब कार्यकर्ताओं का हक क्यों नहीं दिया।
जमीन खिसकी तो याद आ रहे कार्यकर्ता
महेंद्र राजभर ने कहा कि आज ओपी के पैरो तले जमीन खिसक चुकी है। इसलिए दौड़कर नुक्कड़ सभा कर रहे हैं। अब उनके पास कुछ बचा ही नहीं तो यह बताने की कोशिश में जुटे हैं कि आज भी उनके पास पुरानी ताकत है। मूल्यांकन करिए ओपी की मऊ सभा में कितने लोग थे।
2022 में क्यों नहीं आई महिलाओं की याद
महेंद्र ने तंज कसते हुए कहा कि आज ओपी राजभर घूमकर महिला सम्मेलन कर रहे है। क्या 2022 में पार्टी में कोई महिला कार्यकर्ता नहीं थी। 17 में से कितनी सीटों पर महिलाओं को चुनाव लड़ाया। तब तो टिकट बेच रहे थे। अब महिलाओं की याद आ रही है। चुनाव आते ही जैसे किसी से समझौता करेंगे ओपी महिला, दलित, पिछड़ा सभी को भूल जाएंगे।
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दावा, अखिलेश यादव से मांगी थी 15 सुरक्षित सीट
महेंद्र ने आरोप लगाया कि वर्ष 2022 में सपा से 17 सीटों पर समझौता हुआ। उस समय ओपी ने अखिलेश से 15 सीट सुरक्षित मांगी थी। वे बस दो सीट सामान्य चाहते थे। ताकि बाप-बेटा विधायक बन सकें।
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बस पार्टी खड़ी करने के लिए याद आते हैं कार्यकर्ता
महेंद्र राजभर ने कहा कि ओपी राजभर को जब पार्टी खड़ी करनी होती है, तब उन्हें महिला, दलित, पिछड़े और कार्यकर्ता याद आते हैं। कार्यकर्ताओं में जोश भरकर पार्टी खड़ी कर लेते हैं। वहीं जब कार्यकर्ताओं के लिए चुनाव में अवसर आता है तो उन्हें झटक देते हैं। तब जो अधिक रुपया देता हैं वही प्रत्याशी बन जाता है। वही उनका सबसे खास हो जाता है।
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देश के सबसे बड़े ढोंगी नेता है ओपी राजभर
महेंद्र राजभर ने आरोप लगाया कि ओपी राजभर देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े ढोंगी नेता है। उनकों जहां अधिक रुपया मिलेगा उसके साथ चले जाएंगे। ओपी को अपने स्वार्थ से अधिक कुछ नहीं दिखता है।
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यह ओपी को ब्लेम और क्लेम है
ओम प्रकाश राजभर द्वारा सपा पर पार्टी तोड़ने के लगाए गए आरोप को महेंद्र ने निराधार बताया। उन्होंने कहा कि सपा अगर हमें फंडिग करती तो अपने लिए काम कराती। कोई किसी को फ्री में पैसे नहीं देता है। हम अपने लिए काम कर रहे हैं। हमारा संगठन पूरे प्रदेश में तैयार हो गया है। फंडिंग ओपी का क्लेम और ब्लेम है।
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वर्ष 2024 में गठबंधन कर लड़ेगे चुनाव
महेंद्र ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी एक साल का समय है। इस दौरान उनका लक्ष्य संगठन को मजबूत करना है। संगठन खड़ा होने के बाद यह फैसला किया जाएगा कि किसके साथ गठबंधन किया जाएगा। यह पक्का है कि हम चुनाव लड़ेंगे। हर सीट पर हमारा कार्यकर्ता ही मैदान में उतरेगा।
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पैर पर खड़े थे तो कुछ नहीं किया अब तो घुठने पर बैठे हैं
महेंद्र राजभर ने कहा कि वर्ष 2017 में पैर पर चलकर ओपी बीजेपी के पास गए थे। मंत्री भी बने लेकिन कभी अपने समाज, महिलाओं की बात नहीं की और ना ही किसी को अधिकार दिला पाए। अब तो घुटने पर चलकर बाबा के पास पहुंचे हैं। बीजेपी के संगठन मंत्री और बड़े नेताओं को दंडवत प्रणाम कर रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें जगह नहीं मिल रही है। ऐसे में वे क्या कर पाएंगे।