बता दें कि पिछले दो चुनाव से आजमगढ़ संसदीय सीट पर लगातार सपा का कब्जा रहा था। वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव व वर्ष 2019 में अखिलेश यादव यहां से सांसद चुने गए थे। गढ़ को बचाने के लिए ही अखिलेश यादव ने पार्टी के दलित नेता सुशील आनंद का टिकट काटकर अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा था लेकिन उनका यह दाव फेल हो गया और चुनाव में सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।
वैसे तीनों ही दलों में कड़ी टक्कर देखने को मिली। शुरू के 15 राउंड तक धर्मेंद्र यादव आगे रहे। उस समय भीतर प्रवेश को लेकर पुलिस कर्मियों से उनकी झड़प भी हुई। उस समय धर्मेंद्र ने ईवीएम बदलने का आरोप भी लगाया लेकिन परिणाम की घोषणा के बाद उन्होंने हार स्वीकार की लेकिन इसका ठिकरा बसपा पर फोड़ दिया। धर्मेंद्र यादव ने कहा कि सपा की हार के लिए बीजेपी व बीएपी का गुप्त गठबंधन जिम्मेदार है। बीजेपी के साथ ही बसपा को भी जीत की खुशी मनानी चाहिए। धर्मेंद्र यादव ने कहा कि बीजेपी-बीएसपी का गठबंधन राष्ट्रपति चुनाव में भी सामानेे आ चुका है। हार से हमारे कार्यकर्ता निराश नहीं है। हम चुनाव जरूर हारे हैं लेकिन हिम्मत नहीं हारे हैं।