हर जिले में होगा मेडिकल कालेज
डिप्टी सीएम ने कहा कि वर्ष 2016 तक जहां उत्तर प्रदेश में महज 13 मेडिकल कालेज थे। वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 35 हो गई है। इसके अलावा 30 निजी मेडिकल कालेज भी खुल चुके हैं। 14 जिलों को छोड़कर अन्य सभी जिलों में मेडिकल कालेज खोलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। छह जिलों में पीपीपी माडल पर मेडिकल कालेज खोले जाएंगे। इसके लिए सरकार 150 करोड़ की सब्सिडी देगी। शहर से लेकर गांव तक के अस्पतालों में डाक्टरों और दवाओं की कमी का मुद्दा समाप्त हो गया है। पहले दवा समाप्त होने के बाद इसकी डिमांड की जाती थी लेकिन अब उससे पहले ही अस्पताल में दवा पहुंच जा रही है। बदलाव की ही देन है सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन एक लाख सत्तर हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
ट्रामा सेंटरों की व्यवस्था और होगी बेहतर
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि हाइवे पर स्थित ट्रामा सेंटरों की सुविधाओें को और बेहतर बनाने का काम चल रहा है। प्रतिदिन दस से बारह हजार मरीज सड़क एवं अन्य हादसोें में घायल होकर यहां पहुंचते हैं। जबकि आठ हजार मरीज लीवर, किडनी और हर्ट जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित होते हैं। प्रतिदिन सरकारी अस्पतालों में पांच हजार मरीजों का आपरेशन किया जा रहा है। मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मानीटरिंग की जा रही है। पूर्व की सरकार ने कागजों में ट्रामा सेंटर तो खोल दिए लेकिन न डाक्टरों की तैनाती की और न ही इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए गए। हमने इसे चुनौती के रूप में लिया है।
वीआईपी कल्चर हुआ समाप्त
डिप्टी सीएम ने कहा कि पहले अस्पतालों में दवाओं के लोकल पर्चेज का लाभ वीआईपी और प्रभावशाली लोग ही ले पाते थे। यह व्यवस्था बदल दी गई है। अब इसका लाभ केवल गरीब लोग पाएंगे। दवा के लिए कोई गरीब परेशान न हो, इसके लिए दवा खरीद का 20 प्रतिशित बजट जिलों को दे दिया गया है। इस बारे में सीएमएस और सीएमओ को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। सरकार का लक्ष्य है कि हर गरीब तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया जाए।