यूपी का आजमगढ़ स्टेशन आमदनी में तो अव्वल है, मगर यहां यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं है। आठ साल पूर्व यहां प्लेटफार्म नंबर दो व तीन का निर्माण शुरू हुआ, जो आज तक नहीं बन सका है। इतना ही नहीं यहां कैंटीन, फुटब्रिज, स्वचालित सीढ़ी जैसी तमाम सुविधाएं नहीं है, इससे यात्रियों को यहां रोज परेशानियों से जूझना पड़ता है। इस ए ग्रेड के रेलवे स्टेशन में सुविधाएं डी ग्रेड से भी बदतर हैं।
रेल भवन की नजर-ए-इनायत से श्रेणी प्राप्त रेलवे स्टेशन आजमगढ़ पर यात्री सुविधाओं का टोटा है। छायाविहीन प्लेटफार्म अर्से से पड़ा है, ट्रेन लोकेशन डिस्प्ले, पेयजल का संकट सहित साफ-सफाई का स्टेशन पर भी अभाव है। एक उपरिगामी रेल सेतु होने के बावजूद यात्री और रेलकर्मी तक प्लेटफार्म की दल- बदली ट्रैक पार कर करते हैं। इस महत्वपूर्ण रूट पर रेलवे स्टेशन आजमगढ़ पर चौबीस घंटे में तकरीबन एक दर्शन से अधिक ट्रेनों सहित मालगाड़ियों की आवाजाही होती है। शाहगंज-मऊ रूट के इस रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन तकरीबन पांच हजार यात्री ट्रेन सुविधाओं का लाभ लेते हैं। ऐसी व्यस्तता के बाद भी रेलवे स्टेशन पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
सामान्य यात्रियों के लिए बने यात्री प्रतीक्षालय के शौचालय में हर वक्त ताला लटका रहता है। तकरीबन आठ वर्ष से निर्माणाधीन प्लेटफार्म संख्या दो व तीन कार्य प्रगति बेहद धीमी है। आज तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। कई अघोषित निकासी भी स्टेशन पर हैं, जिनसे अनाधिकृत लोगों का स्टेशन परिसर में आना-जाना लगा रहता है। सुविधाओं के नाम रेल मुख्यालय ने यहां एक एस्कलेटर लगाने की बात कर रहा था, लेकिन आज तक वह भी नहीं लग सका।
स्टेशन के छायाविहीन होने के चलते लंबे प्लेटफार्मों पर धूप और वर्षा में यात्रियों को ट्रेन से चढ़ने और उतरने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हालत यह है कि यहां से यात्रा का मतलब फजीहत झेलना। सुरक्षा की दृष्टि से डोर मेटल डिटेक्टर बेहद जरूरी है, कारण यह है कि यह जिला हमेशा से संवेदनशील रहा है, मगर मोदी सरकार में भी इस स्टेशन की सुध नहीं ली जा रही है, जिससे लोगों में भी नाराजगी है।
BY- RANVIJAY SINGH