राजनीतिक और सियासी जानकर कहते हैं कि इस बार आजमगढ़ लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला रहने वाला है। सपा ने बीजेपी की घेरेबंदी के लिए बसपा के पिछले कैंडिडेट गुड्डू जमाली (Guddu Jamali) को अपने पाले में लाकर लड़ाई को और आसान कर ली है। मुस्लिम और यादव (MY) के समीकरण के जरिए सपा आजमगढ़ सीट पर बाजी मारना चाहती है। सपा के राष्ट्रीय
अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) आजमगढ़ सीट को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे। सपा मुखिया का जोर आजमगढ़ में अन्य जातियों के साथ यादव व मुस्लिमों मतदाताओं को पूरी तरह साधने पर है।
भाजपा ने आजमगढ़ सीट पर मजबूत किलेबंदी कर रखी है।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी का आजमगढ़ का दौरा इस नजरिए से खास माना जा रहा है। पीएम मोदी 8 मार्च को मंदुरी एयरपोर्ट और महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय सहित कई छोटी और बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण कर सकते हैं।
सपा के एक सीनियर नेता ने बताया कि अभी इंडिया गठबंधन कैंडिडेट तय कर रहा है। लेकिन इस बार हम लोकसभा चुनाव 2024 में समीकरण के मामले में भाजपा से काफी मजबूत हो चुके हैं। शाह आलम गुड्डू जमाली 2022 में आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। तब उन्हें 2 लाख 66 हजार लाख वोट मिले थे। यह चुनाव सपा कैंडिडेट धर्मेंद्र यादव बीजेपी प्रत्याशी दिनेश यादव निरहुआ से मामूली मतों से हार गए थे। उसी समय से सपा नेतृत्व की नजर गुड्डू जमाली पर थी। उन्हें हम अपने पार्टी में शामिल करा चुके हैं। जिससे आधी लड़ाई ही बची है।
सपा नेता ने आगे बताया कि गुड्डू जमाली मुबारकपुर विधानसभा सीट से 2012 और 2017 में बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते थे। पसमांदा मुस्लिम समुदाय से आने वाले पूर्व विधायक को विधान परिषद भेजकर अखिलेश यदाव पसमांदा मुस्लिम समाज को भी साध सकते हैं। इसके साथ ही मुस्लिम को एमएलसी (MLC) बनाकर पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की अपनी मुहिम को अखिलेश यादव आगे बढ़ा सकते हैं। गुड्डू जमाली के समाजवादी पार्टी में आ जाने से आजमगढ़ में पार्टी की राह आसान हो जाएगी। इसके साथ ही सपा पूर्व मंत्री बलराम यादव को भी विधान परिषद भेजने की तैयारी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा आजमगढ़ में सारी सीटें जीत गई थीं। लेकिन उसके बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में BJP ने सपा को उसी के गढ़ में शिकस्त दे दी।
सीनियर राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि आजमगढ़ सीट यादव परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। क्योंकि यहां पर मुस्लिम और यादवों की संख्या काफी अच्छी है। इसलिए आजमगढ़ सीट पर मुस्लिम या फिर यादव ही सांसद चुना गया है। साल 1996 और 1999 में सपा, 2004 में बसपा और 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर रमाकांत यादव आजमगढ़ सीट से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में रमाकांत यादव सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव से चुनाव हार गए थे। यदि इस सीट के इतिहास को देखें तो बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर 1998 और 2008 में अकबर अहमद डंपी सांसद बने। साल 1989 से 2019 तक इस सीट पर कभी SP तो कभी BSP का कब्जा रहा। बीच में एक बार साल 1991 में जनता दल और 2009 तथा 2022 के उपचुनाव में बीजेपी जीती। इस बार भाजपा के सामने जीत दोहराने की चुनौती है। जातीय समीकरण के आधार पर देखें तो अखिलेश यादव की अगुवाई में सपा को बढ़त जरूर है। लेकिन बीजेपी अपने विकास और पीएम मोदी की गारंटी के दम पर चुनाव जीतने की पूरी कोशिश करेगी।
भाजपा सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ कहते हैं कि आजमगढ़ का विकास उतना कभी नहीं हुआ जितना मोदी-योगी सरकार में हुआ है। यहां एयरपोर्ट, मेडिकल कालेज, संगीत महाविद्यालय और कई सड़कें बनी हैं। इसके साथ ही आजमगढ़ में रिंग रोड बनने जा रहा है। नई रेलवे लाइन बन रही है। आजमगढ़ में मास्टर प्लान पास हो गया है।निरहुआ ने दावा किया कि वह अपने पूरे कार्यकाल में आजमगढ़ की जनता के लिए हर समय मौजूद रहे हैं। पीएम मोदी की योजनाओं का लाभ सभी को मिला है। सपा चाहे जो समीकरण बना लें लेकिन वह जीत नहीं पाएगी। इस बार आजमगढ़ से BJP जीतेगी, विकास जीतेगा।