अयोध्या के ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा,लखनौवा हाता और छोटी देवकाली मंदिर के करीब कई वर्षों तक रहे गुमनामी बाबा अयोध्या में रहने वाले कुछ लोग भी यह मानते है कि नेता जी छिपकर अयोध्या में गुमनामी बाबा के रूप मे रहते थे अयोध्या में गुमनामी बाबा की कहानी 1975 से शुरू हुआ और अयोध्या में कई स्थानों पर उन्होंने अपना ठिकाना बनाया . गुमनामी बाबा अयोध्या के स्व. राम किशोर पंडा के घर में भी रहे , स्व. राम किशोर पंडा के पुत्र नन्द किशोर मिश्र ने बताया कि गुमनामी बाबा के रूप में 1975 में बस्ती से अयोध्या आए थे और हमारे मकान में ढाई वर्ष तक रहे है इसके बाद वो अपना स्थान बदल कर ब्रम्ह्कुन्ड गुरुद्वारा में रहने लगे थे जहाँ पर 3 वर्ष बिताया तथा फिर छोटी देवकाली रोड पर स्थित लखनऊवा हाता में 2 वर्ष से अधिक बिताया .आखिरी समय में गुमनामी बाबा फैजाबाद के राम भवन में पिछवाड़े में बने दो कमरे के मकान में रहते थे जहाँ उनकी मृत्यु हुई . श्री मिश्र का दावा है गुमनामी बाबा और कोई नहीं नेता जी ही थे क्यों की हमारा उनका साक्षात्कार भी हुआ है हमारे पूरे परिवार के लोगो ने उनकी सेवा की है .एक समझौते के आधार वह छुपकर रहते थे जिस से देश आजाद होने के बाद देश में अमन चयन कायम रहे और संविधान का पालन होता रहे .नेता जी को सबसे बड़ा कष्ट पाकिस्तान और भारत के बंटवारे का था जिसका वह बहुत विरोध करते रहे और इसी बात से आहत होकर उन्होंने अपने जीवंन को परदे के पीछे कर लिया और अपने को गुम रखा जिससे वह गुमनामी बाबा के नाम से ही प्रसिद्ध हुए .