मस्जिद कब बनवाई गई पता नहीं
सभी धर्मों को समान देखना सरकार का काम
राम जन्मभूमि एक न्यायिक व्यक्ति नहीं
खुदाई में मिला ढांचा गैर इस्लामिक था
दोनों पक्षों की दलीलें कोई नतीजा नहीं देतीं
रामलला विराजमान को कानूनी मान्यता
एसआई की रिपोर्ट में हिंदू मंदिन होने के साक्ष्य
अयोध्या पर फैसला न्यायिक जांच के दायरे से बाहर
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है। इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
विवादित जमीन राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी जमीन थी।
बाबरी मस्जिद मीर बाकी द्वारा बनाई गई थी।
ढांचा गिराना कानून-व्यवस्था का उल्लंघन
हिंदू बाहरी अहाते में पूजा करते थे
मुस्लिम पक्ष यह सिद्ध नहीं कर पाया कि उनके पास जमीन का मालिकाना हक था
केंद्र सरकार तीन महीने में योजना तैयार करेगी
सुप्रीम कोर्ट से निर्मोही अखाड़ा को बड़ा झटका, मुसलमानों को मस्जिद के लिए मिलेगी अलग जमीन
30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या के विवादित स्थल को रामजन्मभूमि घोषित किया था। तीन सदस्यीय जजों की विशेष पीठ ने अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन बराबर हिस्सों में विभाजित किया था। इस वक्त जहां रामलला की मूर्ति स्थापित है, वह रामलला विराजमान को मिला, जबकि राम चबूतरा व सीता रसोई वाला हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला। तीसरा हिस्सा सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिला। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एसयू खान व जस्टिस धर्मवीर शर्मा की विशेष पीठ ने फैसला सुनाया था। अपने फैसले में तीनों जजों ने यह भी माना कि विवादित स्थल के भीतर भगवान राम की मूर्तियां 22-23 दिसंबर, 1949 को रखी गईं। हालांकि, हिंदू- मुस्लिम पक्ष ने फैसले को न्यायिक नहीं, बल्कि सुलह का फॉर्मूला माना। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई।