रामलला के मुख पर सूर्य की किरणें करीब चार मिनट तक रहेंगी। यह गोलाकार सूर्य तिलक 75 मिमी का होगा। फिलहाल, वैज्ञानिक रामलला का सूर्य तिलक करने की तैयारी में जुटे हैं। इसके लिए राम मंदिर में उपकरण लगाए जा रहे हैं, जल्द ही इसका ट्रायल भी किया जाएगा।
दरअसल, भगवान राम सूर्यवंशी माने जाते हैं। ऐसे में
राम मंदिर के निर्माण के समय यह प्रस्ताव रखा गया था कि वैज्ञानिक विधि से ऐसा प्रबंध किया जाए कि राम नवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला की मूर्ति पर ऐसी पड़ें, जैसे उनका अभिषेक कर रही हों। इसके लिए रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने मिरर, लेंस और पीतल के प्रयोग से एक अनूठा सिस्टम बनाया है। इसके लिए किसी बैटरी या बिजली की जरूरत नहीं होगी।
सूर्य की रोशनी तीसरे फ्लोर पर लगे पहले शीशे पर गिरेगी और तीन लैस और दो दूसरे मिरर से होते हुए सीधे ग्राउंड फ्लोर पर लगे आखिरी मिरर पर पड़ेगी। इससे रामलला की मूर्ति के मस्तक पर सूर्य किरणों का एक तिलक लग जाएगा। यह दो से तीन मिनट तक रामलला के माथे पर रहेगा। राम नवमी में दोपहर यह भव्य दृश्य देखने को मिलेगा, जब भगवान राम का जन्म हुआ होगा, ऐसा माना जाता है।