उन्होंने कहा कि स्वार्थ के चलते अधिकारी और चंपत राय ने मिलकर राम मंदिर की संपत्ति को हड़पने के लिए ट्रस्ट बनाया है। वे चाहते हैं कि राम जन्मभूमि पर उनका अधिकार हो और साधु समाज को यहां से बाहर कर दिया जाए। यहीं इन लोगों की मंशा है। महंत धर्मदास का कहना है कि जब सारी संपत्ति भगवान की है तो भगवान को ट्रस्ट में शामिल क्यों नहीं किया गया?
महंत ने आगे कहा कि वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में से एक भी संत को ट्रस्ट में जगह नहीं मिली है। रामजन्मभूमि उद्धार करने वाले संत अभिराम दास के खानदान से भी किसी को नहीं लिया गया। ट्रस्ट में सुधार करने की जरूरत है और इसीलिए नोटिस जारी किया गया है। कोई जवाब या कार्यवाही नहीं हुई तो दो महीने के अंदर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी।