जब देखते ही गोली मार देने का मुलायम सरकार ने दिया आदेश, प्रदेश भर में कहीं कर्फ्यू, कहीं सन्नाटा
चारों तरफ सन्नाटा, दहशत और आंतक। न्यायालय का आदेश था कि हजारों सालों से चली आ रही चौदह कोसी परिक्रमा न रोकी जाए। लेकिन मुलायम सिंह सरकार ने अघोषित कर्फ्यू लागू कर दिया। कारसेवा की निर्धारित तिथि से तीन दिन पहले ही कर्फ्यू भी घोषित कर दिया। जो बाहर सड़क पर दिख गया उसे गिरफ्तार कर लिया गया। आइए राम मंदिर कथा अभियान में उस दिन कहानी बताते हैं जब देखते ही गोली मार देने का आदेश जारी हुआ था।
हजारों सालों से चली आ रही चौदह कोसी, पंचकोसी परिक्रमा रोक दी गई। जबकि न्यायालय का आदेश था कि परिक्रमा में व्यवधान नहीं आना चाहिए। परिक्रमा शुरू नहीं हुई।
Ram Mandir Katha: कारसेवा की तिथि 30 अक्तूबर नजदीक आ गई थी। देशभर से कारसेवकों का जत्था अयोध्या की तरफ कूूच कर रहा था। दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश आंतक के साए में था। आडवाणी की रामरथ यात्रा ने देश भर में हिंदुत्व की लहर पैदा की थी। जातियों का भेद मिट गया था। लेकिन एक खास तरह की राजनीति करने वालों को अपना भारी नुकसान होते दिखा।
हिंदुत्व के ताप को कम करने के लिए मुलायम सिंह यादव ने जगह-जगह साम्प्रदायिकता विरोधी सम्मेलन शुरू कर दिया। प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमीशन लागू कर दिया। जिसमे समाज को जातिगत बांटकर सरकारी नौकरियों में लाभ दिया जाना था। जिससे देश एकबार फिर से जातिगत टुकड़ों में विभाजित होकर वर्ग संघर्ष की आग में जलने लगा।
एक तरफ रामभक्त थे तो दूसरी तरफ खुद सरकार ही विरोधी भूमिका में थी। तनाव का माहौल और कई जगह हिंसक वारदातें भी हुईं। इनमें दर्जनों लोग मारे गए। अलीगढ़, मेरठ, रामपुर, बिजनौर में कारसेवकों को देखते ही गोली मार देने का आदेश दिया गया। लखनऊ, मुजफ्फरनगर, झांसी, गोरखपुर, वाराणसी, सीतापुर, हरदोई, बाराबंकी, कानपुर, मथुरा, प्रयाग, गोंडा, बदायूं और फैजाबाद में पूरी तरह कर्फ्यू लागू कर दिया गया था। इसके अलावा प्रदेश में जहां कर्फ्यू नहीं लगा था, वहां पर कर्फ्यू जैसा माहौल बना दिया गया।
ट्रेन और बस सेवा एक हफ्ते पहले रोकी गई किसी भी कीमत पर कारसेवक अयोध्या न पहुंच सके। इसके लिए मुलायम सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। एक सप्ताह पहले ही अयोध्या, फैजाबाद, बाराबंकी, गोण्डा, लखनऊ जाने वाली बसें और ट्रेन रोक दी गई। गांव-गांव में निगरानी बढ़ा दी गई। खेत-खलिहान में, पगडंडियों पर भी पुलिस का पहरा लगा दिया गया।
हजारों सालों से चली आ रही चौदह कोसी, पंचकोसी परिक्रमा रोक दी गई। जबकि न्यायालय का आदेश था कि परिक्रमा में व्यवधान नहीं आना चाहिए। परिक्रमा शुरू नहीं हुई। अदालत से सरकार ने कहा कोई आया ही नहीं। परिक्रमा का क्रम टूटता देखकर साधु-संत सडक़ों पर निकल पड़े। उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर बेरहमी से पीटा गया। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
लखनऊ से आगे जाने पर पास बनवाना पड़ता लखनऊ जहां पर सर्वाधिक कारसेवकों के पहुंचने की उम्मीद थी। वहां से आगे अयोध्या का रास्ता पूरी तरह सील कर दिया गया। जगह-जगह नाकेबंदी, मोर्चा सम्हाले सुरक्षा बल जैसे किसी बड़ी आंतकी साजिश को नाकाम करने का तैयार पोजिशन लिए हों। लखनऊ से अयोध्या की दूरी महज 130 किलोमीटर है। लेकिन लखनऊ से आगे बढ़ते ही लगता जैसे किसी युद्ध क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।
अयोध्या से दूरी घटती जाती और सुरक्षा बलों की तादात बढ़ती जाती। जगह-जगह ड्रम और बैरियर लगाकर रास्ता घेर दिया गया था। किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी। सिर्फ पत्रकार ही जा सकते हैं। पत्रकारों को भी जाने के लिए पास बनवाना पड़ता। जगह-जगह रजिस्टर पर हस्ताक्षर करके तलाशी के बाद ही आगे जा सकते थे। पत्रकारों को भी एक जगह नहीं लखनऊ से अयोध्या तक करीब एक दर्जन स्थानों पर कड़ी तलाशी देनी पड़ती। रजिस्टर पर हस्ताक्षर करके पूरा व्यौरा लिखना पड़ता। लखनऊ, बाराबंकी और फैजाबाद में तो पहले ही कर्फ्यू लगा दिया गया था। जिससे वाहनों आवागमन पूरी तरह रुका पड़ा था।
सशस्त्र बल, पुलिस की पक्तिबद्ध घेरेबंदी, रायफल और संगीने फैजाबाद पूरी तरह सन्नाटे में डूबी श्मसान जैसी लग रही थी। चारों तरफ सशस्त्र बल, पुलिस की पक्तिबद्ध घेरेबंदी, रायफल और संगीने। यह हाल 27 अक्टूबर 1990 का यह हाल था। अयोध्या से आठ दस किलोमीटर पहले ही कदम-कदम पर पोजिशन लिए पुलिस के जवान बैठे थे। सड़क के दोनों किनारे बल्लियां लगा दी गई थी। बीच में ट्रक और बस के टायर, बैरियर लगाकर रास्ता रोक दिया गया था।
हनुमान गढ़ी सूनी, सरयू घाटों पर सन्नाटा, मंदिरों के कपाट बंद। प्रत्येक बड़े दरवाजे पर एक आईपीएस अधिकारी बैठा दिया गया। रंग महल, लवकुश मंदिर, दशरथ महल, सुंदर सदन, कनक भवन, आनंद भवन हर जगह ताला लगा दिया गया। अयोध्या और आसपास के सारे मंदिर बंद करा दिए गए। पूजा-अर्चना, आरती भजन रोक दिया गया। जो कभी बर्बर मुगल आक्रमणों में भी बंद नहीं हुए थे।
कुलमिलाकर मुलायम सिंह यादव ने परिंदा भी पर नहीं मार सके इसका पूरा इंतजाम कर दिया था। लेकिन सेकुलर सरकार की चुनौती को कारसेवकों ने सीने पर गोलियां झेल कर स्वीकार किया। विहिप के अंतरराष्ट्रीय मंत्री अशोक सिंहल पुलिस की घेरेबंदी के बावजूद अयोध्या पहुंच चुके थे। जिनको खोजने में पूरा सरकारी तंत्र लगा था। खुफिया एजेंसियां लगी थी। लेकिन अशोक सिंहल अयोध्या आ चुके थे। कल हम के राम मंदिर कथा में हम इसकी विस्तार से जानकारी देंगे। देखें यह वीडियो, जिसमें यह दिखाया गया है कि मुलायम सरकार का अयोध्या में कैसा आतंक था।
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