अयोध्या. धार्मिक नगरी अयोध्या के स्वर्गद्वार मोहल्ले में स्थित हनुमान गढ़ी के सागारिया पट्टी के परिसर की दीवार के साथ जर्जर हो चुकी आलमगिरी मस्जिद और उससे सटी दीवार की मरम्मत और निर्माण को लेकर, बाबरी मस्जिद मामले के मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब के आवास पर मुस्लिम धर्म गुरुओं और उलेमाओं की बैठक हुई। जिसमें आलमगिरी मस्जिद और उस से जुड़े परिसर में निर्माण और मरम्मत को मुस्लिम धर्मगुरुओं ने किसी गैर मुस्लिम के जरिए कराए जाने पर विरोध जताया।
‘मुसलमानों के नाम पर फायदा उठाना चाहते हैं महंत ज्ञान दास’
बाबरी मामले के मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने कहां की अगर महंत ज्ञानदास को मुसलमानों से इतनी ही हमदर्दी है तो उन्हें आलमगिरी मस्जिद और उस से जुड़ी हुई जमीन और भवन को मुसलमानों के नाम कर देना चाहिए। उसके बाद मुसलमान खुद से जर्जर मस्जिद और उस की दीवार की मरम्मत कराने और उसके निर्माण कराने का काम करा लेंगे। हाजी महबूब ने कहा कि मैंने महंत ज्ञान दास के करीबी सादिक अली से इस बात को कहा था कि हम उनका विरोध नहीं कर रहे हैं। लेकिन अगर महंत ज्ञानदास को मस्जिद कितनी है फ़िक्र तो उन्हें उसे मुसलमानों को दे देना चाहिए। लेकिन इस विषय पर आगे कोई बात ही नहीं की गई। हाजी महबूब ने कहा महंत ज्ञानदास की इस समय क्या पोजीशन है उसे हर कोई जानता है महंत ज्ञानदास मुसलमानों के नाम पर फायदा उठाना चाहते हैं महंत ज्ञानदास जो कर रहे हैं वह हमारे मुस्लिम धर्म के शरीयत के खिलाफ है ।
शरियत के खिलाफ है ज्ञान दास का कदम
मौलाना मुफ्ती मोइनुद्दीन ने कहा कि ज्ञानदास या दुनिया का कोई शख्स हो गैर मुस्लिम का पैसा मस्जिद में नहीं लग सकता है। एक दूसरे के कौम का पैसा लेना-देना मस्जिद के लिए मना है। मोहब्बत की रवादारी के दूसरे भी तरीके हैं। किसी दूसरे तरीके से भी मदद की जा सकती है। उनका कदम ठीक तो है लेकिन उन्हें स्वयं कार्य न कराके मुस्लिमों को इजाजत दे दें कि वह मरम्मत करा लें। अडग़ड़ा मस्जिद के मो. जुनैद कादरी ने कहा कि अडग़ड़ा पर स्थित उस मस्जिद का नाम आलमगिरी मस्जिद नहीं, यह शाही मस्जिद है।
आलमगिरी मस्जिद राम की पैड़ी से सटी है। कहा कि मस्जिद की मरम्मत पर आ रही बयानबाजी शरीयत के खिलाफ है, जिससे मुस्लिमों की छवि खराब हुई है। बैठक में दारुल उलूम बहार शाह के हजरत मौलाना मुफ्ती मोइनुद्दीन, हजरत मौलाना मुफ्ती शमशुल कमर, मो. मारुफ, मो. जुनैद कादरी, जामा मस्जिद टेढ़ीबाजार के इमाम आसिफ मोहम्मद असलम, मदरसा फैजुल उलूम हैबतपुर कारी अब्दुल हफीज, मौलाना मो. उबैस रजा, मो. नबी, महफूज, अख्तर अली आदि मौजूद रहे।
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