वक्फ के नाम की थी जमीन अयोध्या निवासी हैदर अली का दावा है कि उनके एक पूर्वज ने कोई औलाद न होने की वजह से जमीन को वक्फ के नाम कर दिया था। जमीन पर अब भी उनके परिवार का ही अधिकार है। हैदर का कहना है कि जमीन को मुतवल्ली महमूद आलम ने धोखे से अपने नाम करा लिया था। बाद में महमूद आलम के 4 बेटों महफूज आलम, फिरोज आलम, जवेद आलम और नूर आलम ने 2011 में जमीन का इकरारनामा हरीश पाठक दंपति के नाम कर दिया। जमीन को लेकर रामजन्म भूमि थाने में एक एफआईआर भी दर्ज है। 2017 में जमीन की रजिस्ट्री तो कर दी गई लेकिन मार्च 2021 तक ख़ारिज दाखिल नहीं हुआ। मामला कमिश्नर के यहां लंबित था। इस बीच मार्च 2021 में जब राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने जमीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू की तब आनन-फानन में जमीन का खारिज दाखिल किया गया। एग्रीमेंट करके न्यास को दे दिया गया।
420 का आरोपी पाठक यह भी आरोप लग रहे हैं कि जमीन का तथाकथित मालिक हरीश पाठक, 420 का आरोपी है। उसके घर की कुर्की हो चुकी है। 18 मार्च को हरीश पाठक और इनकी पत्नी कुसुम पाठक ने रवि तिवारी और सुल्तान अंसारी को 2 करोड़ में जमीन बेची थी। अयोध्या के कैंट थाने में इस दंपत्ति के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं और 16 सितंबर 2018 को कुसुम के मकान की कुर्की हो चुकी थी।