अयोध्या में भव्य रामनवमी के आयोजन की तैयारियों के बीच यहां के मुख्य चिकित्साधिकारी घनश्याम सिंह का कहना है कि रामनवमी की पूर्व संध्या से आने वाली 15 से 20 लाख लोगों की भीड़ के चलते कोरोना वायरस को नियंत्रित करना आसान नहीं होगा। सभी के लिए मास्क बांटना भी संभव नहीं होगा। ऐसे में मेला रोकने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। सिंह ने कहा, “चूंकि मुख्यमंत्री ने सभी तरह की सभाओं से बचने के लिए कहा है, लिहाजा कोरोनावायरस के डर और जोखिम को देखते हुए इस साल रामनवमी मेला आयोजन पर हम प्रशासन से बात कर रहे हैं। हालांकि, जिला मजिस्ट्रेट अनुज झा ने समारोह के रद्द होने की संभावना से इंकार किया है। उन्होंने कहा, “हम सभी सावधानी बरतेंगे, भक्तों को इससे बचाव के लिए सलाह देंगे। जिलाधिकारी ने कहा है कि मेला पारंपरिक रूप से संपन्न होगा। अभी राज्य सरकार ने मेला रोकने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। इससे उहापोह की स्थित बनी हुई है।
माना जाता है कि बाबर के द्वारा राममंदिर को तोड़े जाने और इसे बाबरी मस्जिद का स्वरूप देने के बाद रामलला का विग्रह परिसर से हटा लिया गया था। 22-23 दिसंबर 1949 की आधी रात में सर्दी और घने कोहरे के बीच रामलला दोबारा राममंदिर-बाबरी मस्जिद में दाखिल हुए थे। जब 6 दिसंबर 1992 को विवादित ध्वंस हुआ तो रामलला को सुरक्षित निकाल लिया गया। बाद में उसी शाम गर्भगृह के मलबे पर रामलला को तिरपाल के नीचे स्थापित कर दिया गया था। तब से रामलला वहीं विराजमान रहे। नवरात्रि पर 25 मार्च को 70 साल तीन महीने बाद रामलला पास में ही बने छोटे से फाइबर मंदिर में ‘शिफ्ट’ होंगे। अभी तक रामलला के दर्शन एक किमी चलकर 52 फीट की दूरी से एक या दो सेंकड के लिए होता था। लेकिन अब सिर्फ आधा किलोमीटर पैदल चलकर करीब 25 फीट की दूरी से ही एक से दो मिनट तक दर्शन होगा।
25 मार्च से चैत्र नवरात्री, रामनवमी की शुरुआत हो रही है। लेकिन, उत्सव की शुरुआत 20 मार्च से ही जाएगी। वाराणसी के 50 से अधिक वैदिक पंडित और अन्य साधु संत भूमि का शुद्धिकरण करेंगे। 25 मार्च को रामलला भोर में टेंट से निकल कर नए फाइबर युक्त बुलेटप्रूफ शीशे से बने मंदिर में विराजमान होंगे। राम जन्मोत्सव पर 2 अप्रेल को भव्य आयोजन होगा। श्रद्धालुओं को पहली बार भोग प्रसाद भी दिया जाएगा।
तीन क्विंटल पंचमेवा पंजीरी और एक क्विंटल पंचामृत बंटेगा
इस बार राम जन्मोत्सव के मौके पर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट तीन क्विंटल पंचमेवा पंजीरी और एक क्विंटल पंचामृत बंटवाएगा। फल, मिष्ठान का भोग भी लगेगा। रामलला सहित तीनों भाईयों लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न को नए वस्त्र भी पहनाये जायेंगे। इसके पहले राम जन्मोत्सव पर सिर्फ 51 हजार का ही बजट होता था। इस बार के जन्मोत्सव के लिए ट्रस्ट ने विशेष फंड की व्यवस्था की है।
नए स्थान पर दर्शन 25 से
25 मार्च को अयोध्या स्थित ‘नए स्थान’ पर रामलला के दर्शन किए जा सकेंगे। सेवा पूजा के सभी इंतजाम करने के लिए प्रशासन को कहा गया है।- चंपत राय, महासचिव, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
रामजन्म के समय 2 अप्रैल को श्रद्धालुओं को भोग में शामिल होने का अवसर मिलेगा। श्रद्धालुओं को यह सुविधा पहली बार दी जा रही है।- आचार्य सत्येंद्र दास, मुख्यपुजारी, रामजन्मभूमि
रामलला की सुरक्षा महत्वपूर्ण है। इसलिए भारी भीड़ का अंदर जाना संभव नहीं हो पाएगा। सभी व्यवस्थाएं पहले की तरह ही होंगी। रामलला का नया भवन बनने के बाद सुरक्षा में परिवर्तन होगा। -कामेश्वर चौपाल, सदस्य, श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
हम एक विकट स्थिति में फंस गए हैं, क्योंकि समारोह को किसी भी कीमत पर आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि इसमें खतरा है, क्योंकि इसमें लाखों लोग आएंगे।- विश्व हिंदू परिषद के एक नेता
पहले- दर्शन के लिए एक किमी का लाइन
अब- सिर्फ आधा किमी का लगाना पड़ेगा चक्कर
पहले- सिर्फ एक या दो सेकंड के लिए मिलता था दर्शन
अब- कम से कम एक से दो मिनट के दर्शन की होगी सुविधा
पहले- 52 फिट की दूरी से दर्शन देते थे रामलला
अब- सिर्फ 25 फिट की दूरी से भगवान को निहार सकेंगे भक्त
पहले- भक्तों को एक साथ बड़ी संख्या में परिसर में जाने की नहीं थी अनुमति
अब- एकसाथ लोग रामलला की मंगला, राजभोग, संध्या और शयन आरतियों में होगं शामिल
अयोध्या में रामनवमी, हनुमान जयंती, अक्षय तृतीया, एकादशी और पूर्णिमा जैसे अवसरों पर कम से कम 15-20 लाख लोग आते हैं।