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Shardiya Navratri 2024 : गुजरात के इस शक्तिपीठ में नहीं है माता की प्रतिमा, जानिए पूजा की खासियत

Ambaji Shaktipeeth, Banas Kantha, Gujarat : आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। इसी के साथ नवरात्र में अपने पाठकों के लिए हम शुरू कर रहे हैं देवी के चुनिंदा शक्तिपीठों (Shaktipeeth) की यात्रा करवाती एक विशेष शृंखला।

अहमदाबादOct 03, 2024 / 07:11 pm

Manoj Kumar

Worship in Ambaji Shaktipeeth in Gujarat Without an Idol

Worship in Ambaji Shaktipeeth in Gujarat Without an Idol

Ambaji Shaktipeeth, Banas Kantha, Gujarat : कहा जाता है कि शक्तिपीठों के दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी देवी सती के शरीर के अंग या आभूषण जहां-जहां गिरे, वहां कालांतर में शक्तिपीठ स्थापित हुए। अलग-अलग पुराणों में शक्तिपीठों (Shaktipeeth) की संख्या 51, 52, 64 या 108 बताई गई है, इनमें से कुछ भारत से बाहर भी है। पहली कड़ी में जानते हैं गुजरात के अंबाजी मंदिर शक्तिपीठ (Ambaji Shaktipeeth) के बारे में…

अंबाजी शक्तिपीठ, बनास कांठा, गुजरात Ambaji Shaktipeeth, Banas Kantha, Gujarat

गुजरात के बनासाकांठा जिले में स्थित शक्ति की देवी (Ambaji Shaktipeeth) अंबाजी को समर्पित इस शक्तिपीठ के लिए कहा जाता है कि इस स्थान पर ही माता सती का हृदय गिरा था। पहले यहां अंबिका वन था। ऐसे में अरावली की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच में स्थित यह मंदिर अंबाजी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वैदिक कुंवारी नदी सरस्वती का उद्गम स्थल भी पास में है।

प्रतिमा नहीं, बीसा यंत्र की पूजा

मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में देवी की मूर्ति नहीं है। श्री बीसा यंत्र की पूजा की जाती है। यंत्र को सामान्य आंखों से नहीं देखा जा सकता, इसलिए इसकी पूजा आंखों पर पट्टी बांधकर की जाती है। फोटो खींचना भी मना है। यहां एक गोख या आला है, पुजारी गोख के ऊपरी हिस्से को इस तरह से सजाते हैं कि यह दूर से मूर्ति की तरह लगता है।
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मंदिर का मनोहर रूप

Ambaji Shaktipeeth : अंबाजी मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर को नागर ब्राह्मणों द्वारा बनाया गया था और यहां पूजा पूर्व-वैदिक काल से होती आ रही है। मंदिर में सोने के शंकु हैं, जो इसकी भव्यता को बढ़ाते हैं। मंदिर के सामने एक मुख्य प्रवेश द्वार है और केवल एक छोटा सा साइड-डोर है, ऐसा माना जाता है कि माता ने कोई अन्य दरवाजा लगाने से मना किया हुआ है।
हर साल आते हैं लाखों श्रद्धालु… मंदिर में हर अष्टमी को विशेष पूजा होती है। विशेष तौर पर भद्रवी पूर्णिमा, नवरात्र और दिवाली के समय यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। माता के दर्शन करने और मंदिर की पवित्रता का अनुभव करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
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गब्बर पर्वत पर मूल निवास… देवी अम्बा का प्राचीन निवास दो किलोमीटर की दूरी पर गब्बर पर्वत की चोटी पर एक गुफा में स्थित है। इसे देवी का मूल निवास माना जाता है। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक लाइट एंड साउंड शो गब्बर पहाड़ी का मुख्य आकर्षण है, जिसमें पूरे पर्वत को कवर किया जाता है। अंबाजी मंदिर से थोड़ी दूरी पर एक बड़ा आयताकार कुंड है, जिसके चारों तरफ सीढ़ियां हैं, जिसे मानसरोवर कहा जाता है।

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