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Shani In Kundli: जन्म कुंडली में पहले भाव में हो शनि देव तो व्यक्ति जीता है राजसी जीवन, देखें आपकी कुंडली में किसी भाव में विराजे हैं न्याय के देवता

Shani in Kundli: Effects according it’s House, Kis bhav me kaisa asar: पत्रिका.कॉम के इस लेख में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य अमर अभिमन्यु डब्बावाला आपको बता रहे हैं कि आपकी जन्म कुंडली में शनि किस भाव में हैं और वह कैसा फल देने वाले हैं। दरअसल माना जाता है कि आपका भविष्य कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति तय करती है। सीखें कुंडली के किस भाव में कैसा फल देते हैं शनिदेव…

Apr 12, 2023 / 01:37 pm

Sanjana Kumar

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Shani in Kundli: Effects according it’s House, Kis bhav me kaisa asar: ज्योतिष शास्त्र में नव ग्रहों का अपना अलग-अलग महत्व बताया गया है। वहीं नव ग्रहों में शनि की बात आए तो लोग डर जाते हैं। न्याय के देवता शनि देव को सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है। दरअसल शनि देव कर्मों के मुताबिक व्यक्ति को फल प्रदान करते हैं। वे अच्छे कर्मों का अच्छा और बुरे कर्मों का बुरा परिणाम देने के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि लोग उनसे डरते हैं। जैसे ही लोगों को पता चलता है कि उन पर शनि की साढ़े साती शुरू होने वाली है, लोगों को लगता है कि अब क्या होगा हमारा और वह डर, चिंता के साये में जीने लगते हैं। उनकी रातों की नींद उड़ जाती है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य अमर अभिमन्यु डब्बावाला आपको बता रहे हैं कि आपकी जन्म कुंडली में शनि किस भाव में हैं और वह कैसा फल देने वाले हैं। दरअसल माना जाता है कि आपका भविष्य कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति तय करती है। सीखें कुंडली के किस भाव में कैसा फल देते हैं शनिदेव…

प्रथम या लग्नेश भाव में शनि का प्रभाव
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि प्रथम यानी पहले भाव में होते हैं और यदि वह उच्च के हैं या शुभ हैं, तो ऐसा व्यक्ति व्यक्ति राजसी जीवन जीने वाला होता है। यानी उसकी जिंदगी ऐश्वर्यपूर्ण बनी रहती है। उसका सामाजिक और राजनीतिक रुतबा होता है और वह व्यक्ति नेतृत्व के गुणों से लैस होता है। ऐसे व्यक्ति को शराब और मांसाहारी भोजन के सेवन से बचना चाहिए। यदि वह इन चीजों से दूर रहता है, तो शनि उसे सारी जिंदगी शुभ परिणाम देते हैं।

 

दूसरे भाव में शनि का प्रभाव
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि देव दूसरे घर में विराजते हैं, वह व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, दयालु और न्याय करने वाला होता है। वह स्वभाव से आध्यात्मिक और धार्मिक बनता है। ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय उसके जन्म स्थान या पैतृक निवास स्थान से दूर ही होता है। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार से थोड़ा दूर रहता है। चाहे जीविका यानी कॅरियर की वजह से रहे या अन्य कारण से।

 

तीसरे भाव में शनि का प्रभाव
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि देव तीसरे भाव बैठे होते हैं, वह व्यक्ति अपने दम पर और अपने संघर्ष के बलबूते पर जिंदगी में एक मुकाम हासिल करता है। ऐसे व्यक्ति को समाज में बहुत मान-सम्मान मिलता है। उसे स्त्री सुख भी भरपूर मिलता है। यदि तीसरे भाव में शनि अशुभ स्थिति में बैठा हो तो, व्यक्ति बहुत आलसी हो जाता है। उसकी प्रवृत्ति भी बहुत लो लेवल की हो जाती है।

 

चौथे भाव में शनि का प्रभाव
जन्म कुंडली के चौथे भाव में बैठा शनि ज्यादा शुभ नहीं माना जाता। यह कोई भी हेल्थ इश्यू दे देता है। ऐसे लोग कई बार जीवन में मकान बनाने से भी वंचित रह जाते हैं। यह स्थान माता का भी माना जाता है। इसीलिए इस भाव में शनि का होना माता के लिए भी कष्टकारक होता है।

पांचवें भाव में शनि का प्रभाव
कुंडली मेंशनि यदि पांचवें भाव में बैठा हो तो, वह व्यक्ति को बहुत रहस्यवादी बना देता है। यानी वह व्यक्ति अपने राज कभी भी जाहिर नहीं करता। न ही अपनी भावनाएं दूसरों से शेयर करता है। उसे अपनी पत्नी और बच्चों की भी ज्यादा चिंता नहीं रहती। वहीं ऐसे व्यक्ति की छवि उसके दोस्तों के बीच भी अच्छी नहीं रहती।

 

छठे भाव में शनि का प्रभाव
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि देव छठे भाव में विराजते हैं वह व्यक्ति अपने शत्रुओं पर हमेशा विजय हासिल करता है और वह बहादुर होता है। दरअसल यह भाव रोग और शत्रु का स्थान भी कहा जाता है। यदि साथ में केतु भी बैठा हो, तो व्यक्ति धनी भी होता है। लेकिन अगर छठे भाव में बैठा शनि वक्री अवस्था में हो या निर्बल हो तो आलसी और रोगी भी बना देता है। ऐसे लोगों पर कर्जा भी चढ़ा देता है।

 

सातवें भाव में शनि का प्रभाव
यदि किसी की कुंडली में शनि देव सातवें भाव में बैठे हों, तो व्यक्ति व्यापार में काफी सफल रहता है। खासकर मशीनरी और लोहे का काम उसे फलता है। सातवां भाग दांपत्य भाव भी कहलाता है और यदि वह व्यक्ति अपनी पत्नी से अच्छे संबंध नहीं रखता तो, शनि नीच और हानिकारक भी हो जाता है। ऐसे व्यक्तिको अपनी प्रोफेशनल लाइफ में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

 

आठवें भाव में शनि का प्रभाव
यदि जन्म कुंडली के अष्टम भाव में यानी आयु के स्थान में शनि बैठा है, तो ऐसे व्यक्तिकी आयु लंबी करता है। लेकिन पिता के स्वास्थ्य के लिए यह अच्छा नहीं होता।

 

नवे या नवम भाव में शनि का प्रभाव
कुंडली के नवम भाव में यानी भाग्य स्थान में यदि शनि देव विराजे हों, तो व्यक्ति को बहुत ही पॉजिटिव प्रभाव देते हैं। यहां शनिदेव व्यक्ति का भाग्योदय करते हैं। ऐसे व्यक्ति के जीवन में तीन घरों का सुख लिखा होता है। अगर कहीं उपलब्ध हो पाए तो, ऐसे व्यक्ति को एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

दशम या दसवें भाव में शनि का प्रभाव
कुंडली का दशम भाव राज दरबार और पिता का स्थान भी कहलाता है। यहां पर शनि अच्छे परिणाम देता है। ऐसा व्यक्ति सरकार से भी लाभ प्राप्त करता है और जीवन का पूरा आनंद लेता है, बहुत से ब्यूरोक्रेट और मंत्रियों की कुंडली में शनि इसी भाव में बैठे होते हंै और ऐसे व्यक्तिकभी-कभी नामी ज्योतिष भी बन जाते हैं।

 

ग्यारहवें भाव में शनि का प्रभाव
जिस व्यक्ति की कुंडली में ग्यारहवें भाव में शनि बैठा हो, तो वह व्यक्ति बहुत धनी होता है। कल्पनाशील होता है और जिंदगी के सभी सुख पाने वाला होता है। हालांकि इनकी कमी यह भी रहती है कि ऐसे व्यक्ति चापलूसी प्रवृत्ति के होते हैं।

बारहवें भाव में शनि का प्रभाव
यदि किसी की कुंडली में शनि देव बारहवें भाव में बैठे होते हैं, तो अच्छे परिणाम देते हैं। ऐसे व्यक्ति को परिवार का सुख भी मिलता है और बिजनेस में भी वृद्धि होती हे। लेकिन ऐसा व्यक्ति शराब पीना शुरू कर देता है या मांस खाता है तो, शनि उस व्यक्ति का मन अशांत भी कर देते हैं। ऐसा व्यक्ति जीवन में परेशानी भी झेलता है।

नोट- ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि शनि अच्छा कर्म करने वालों पर हमेशा मेहरबान रहते हैं और बुरा कर्म करने वालों को उनके इसी जीवन काल में दंडित भी करते हैं। कई बार उनका दंड ऐसा होता है कि व्यक्ति अपने बुरे कर्मों से तौबा करने लगता है। इसीलिए जिन लोगों के ऊपर हमेशा कष्ट, गरीबी, बीमारी और धन संबंधी परेशानियां रहती हैं उन्हें, शनिदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए। शनिवार के उपाय करने चाहिएं।

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