गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की बनाई आकृति, गोवंश के खुर से कुचलाकर लोगों ने एक-दूसरे को लगाया तिलक
शनिवार को जिले भर में गोवर्धन पर्व धूमधाम से मनाया गया। बालोद जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में सुबह से ही गौ वंश को स्नान कराकर घरों में गाय के गोबर का गिरिराज गोवर्धन की आकृति बनाकर विधि विधान से पूजा की गई।
Govardhan Puja शनिवार को जिले भर में गोवर्धन पर्व धूमधाम से मनाया गया। बालोद जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में सुबह से ही गौ वंश को स्नान कराकर घरों में गाय के गोबर का गिरिराज गोवर्धन की आकृति बनाकर विधि विधान से पूजा की गई। वहीं जिन घरों में गौवंश है, उनके घरों में गौ वंश के पैरो से गोबर कुचलाकर गोवर्धन पूजा की गई।
गोवर्धन पूजा के दिन घरों में कद्दू व कोचई की सब्जी बनाई गई। पूड़ी, बड़ा को खिचड़ी में मिलाकर गौ वंश को खिलाया गया। वहीं गौवंश के बाद परिवार सहित लोगों ने खिचड़ी खाई। इस दौरान लोगों में गोवर्धन पर्व का उत्साह भी दिखाई दिया।
गोवर्धन पूजा के बारे में मान्यता है कि देवराज इंद्र का घमंड तोडऩे श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा करने के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने ग्रामीणों को प्रेरित किया। इंद्र को इसका पता चला तो उन्होंने पूरे गोकुल गांव को नष्ट करने व कृष्ण को अपनी शक्तियों का परिचय देने भारी बारिश करा दी। गांव में हाहाकार मच गया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठा लिया और ग्रामीणों की रक्षा की। सात दिन तक इंद्र ने कहर वरपाया, लेकिन किसी भी ग्रामीण को क्षति नहीं पहुंची। तब से भगवान श्रीकृष्ण को गोवर्धन के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में लोग गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं।
गोवर्धन पूजा के दिन गांव में डांग डोरी निकलकर घर घर पूजा की गई। वहीं गांव में गांव भर के सभी गौ वंश के पैरो से गोबर को कुचलाया गया, जिसके बाद ग्रामीणों ने एक दूसरे के ऊपर गोबर का तिलक लगाकर गोवर्धन पर्व की एक दूसरे को बधाई दी।
भाई दूज व मातर उत्सव रविवार से
गोवर्धन पूजा के बाद रविवार को भाई दूज व मातर उत्सव मनाया जाएगा। भाई दूज का पर्व बहन अपने भाई की लम्बी उम्र के लिए मनाते है। इस दिन बहन अपने भाई के कलाई में रक्षा सूत्र बंधकर भाई की लम्बी उम्र की प्रार्थना करते हैं। वहीं इसी दिन से मातर उत्सव व मंडाई मेला का दौर शुरू हो जाएगा।
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