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How to read Kundli: कुंडली देखना सीखें- प्रथम भाग, कुंडली का महत्व और आपके सवालों के जवाब भी

How to read our Janm Kundli, Janm Kunldi padhne ka sahi tarika Ist Part: कुंडली पढ़ने की शुरुआत आपको थोड़ा डरा सकती है कि पता नहीं कुछ समझ आ भी रहा है या नहीं, लेकिन जैसे-जैसे आप शुरुआती दौर से आगे बढ़ेंगे, आपकी समझ और इंट्रेस्ट दोनों बढ़ते जाएंगे। अब आपके मन में सवाल आ रहे होंगे कि हम कुंडली क्यों पढ़ें, क्यों जानें, इसे पढऩे या जानने का महत्व है भी कि नहीं, तो आइए आज कुंडली पढ़ने का पाठ आपके इन्हीं सवालों के जवाब साथ शुरू करते हैं। पत्रिका.कॉम पर अब आप भी जान सकते हैं कुंडली के रहस्य…

Apr 29, 2023 / 04:11 pm

Sanjana Kumar

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How to read our Janm Kundli, Janm Kunldi padhne ka sahi tarika Ist Part: अपनी कुंडली कैसे पढ़ें? इस पर गौर किया जाए, तो वास्तव में इसे पढऩे वाला समाज के सामने खुद को एक चतुर और बेहद होशियार व्यक्ति के रूप में दिखा सकता है। जबकि यह भी हकीकत है कि कुंडली को पढ़ने उसे समझने और उसकी व्याख्या करने के लिए बहुत ज्यादा अभ्यास और ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह अंतहीन विषय है। जितनी जिज्ञासा उतना विस्तार इसमें आपको देखने को मिलेगा। यही अभ्यास, जिज्ञासा और विस्तार आपको ज्योतिष के क्षेत्र में महान बना सकती है। कुंडली पढ़ने सीखने के लिए यह जरूरी है कि आपको पहले से ही कुछ ज्योतिषीय शब्दों की समझ हो, जिसे हम प्रारंभिक ज्ञान का नाम भी दे सकते हैं। यही समझ आपको कुंडली को आसानी से समझने में मदद करेगी। कुंडली पढ़ने की शुरुआत आपको थोड़ा डरा सकती है कि पता नहीं कुछ समझ आ भी रहा है या नहीं, लेकिन जैसे-जैसे आप शुरुआती दौर से आगे बढ़ेंगे, आपकी समझ और इंट्रेस्ट दोनों बढ़ते जाएंगे। अब आपके मन में सवाल आ रहे होंगे कि हम कुंडली क्यों पढ़ें, क्यों जानें, इसे पढऩे या जानने का महत्व है भी कि नहीं, तो आइए आज कुंडली पढ़ने का पाठ आपके इन्हीं सवालों के जवाब साथ शुरू करते हैं। पत्रिका.कॉम पर अब आप भी जान सकते हैं कुंडली के रहस्य…

‘कुंडली क्यों जरूरी है’ का जवाब
ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है, जिसके जरिये व्यक्ति के जीवन में घटने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। साथ ही शुभ घटना के फल को मैक्सिमम करने और अशुभ प्रभाव को मिनिमम करने के भी उपाय हैं। जिसका आंकलन कुंडली के आधार पर ही होता है, जो स्वयं जन्म के समय पर आधारित है, यानी जितना सटीक आपके जन्म का समय, उतनी सटीक भविष्यवाणी। ज्योतिष भारत की प्राचीन विद्या है, जिसका मानना है मनुष्य के गुण और व्यवहार अलग-अलग ग्रहों से प्रभावित होते हैं। दुनिया की प्राचीनतम विद्या में से एक भारत की ज्योतिष विद्या इतनी समृद्ध है कि ग्रहों की गति की गति के आधार पर आपके जीवन में घटने वाली, हर छोटी-बड़ी, शुभ-अशुभ घटना का सटीक आंकलन किया जा सकता है। ज्योतिष के अच्छे जानकर कुछ पल में ही आपके कॅरियर से लेकर संपूर्ण जीवन और पल-पल उसमें आने बदलाव का सटीक आंकलन कर सकते हैं। ऐसे में आप अशुभ परिणामों को लेकर अलर्ट हो सकते हैं। जीवन की सही दिशा तय कर सकते हैं।

‘कुंडली कैसे पढ़ें?’ का जवाब
कुंडली कैसे पढ़ें यह समझने का एक तरीका यह है कि किसी का भविष्य क्या है या फिर कैसा रहने वाला है। उसके साथ कि अवस्था में क्या होगा, कब खुशियां आएंगी कब दुख। कभी-कभी तो जन्म कुंडली की गणना इतनी स्पष्ट भविष्यवाणी करवा सकती है कि भविष्य में किसी व्यक्तिके साथ वास्तव में अगले पल क्या होने वाला है, यह तक पता चल सकता है। जबकि बहुत से लोग इस ज्ञान या जानकारी को पढ़ना या जानना पसंद ही नहीं करते। लेकिन यदि आप ज्योतिष में विश्वास रखते हैं, तो उसे पढऩे में आपको इंट्रेस्ट आएगा और आपका यही इंट्रेस्ट इसे आसानी से समझने में आपकी मदद करेगा और आप अपनी जागरूकता से खुद को भविष्य के अच्छे-बुरे परिणामों के लिए तैयार करने में समर्थ पाएंगे।

 

जन्म कुंडली पढ़ने का महत्व
किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली उनकी जन्म तिथि, जन्म स्थान, जन्म के निश्चित समय, जैसे विवरणों की सहायता से ही तैयार की जाती है। इस जानकारी के सही विवरण के बिना स्पष्ट भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है। इस विवरण से आप जन्म के समय ग्रहों की चाल, उनकी राशि, उनकी अवस्था आदि की गणना करते हुए, भविष्य की दशा और दिशा के बारे में समझ पाते हैं। इस विवरण से ही आपकी राशि और भाग्य के बारे में जाना जा सकता है। किसी व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों के प्रभाव से उसके शौक, गुण, पसंद, नापसंद आदि को भी परिभाषित किया जाता है। इसलिए संक्षेप में कुंडली पढ़ने का तरीका जानने से आपको अपनी कुंडली पढ़ने में मदद मिल सकती है।

 

कुंडली पढ़ने के महत्व

– कुंडली पढ़ने का सबसे बड़ा महत्व यह है कि आप उसमें मौजूद दोषों, योगों, राजयोगों के बारे में जान सकते हैं। कोई योग यदि आपको नकारात्म रूप से प्रभावित करेगा तो इसका पता लग जाएगा और आप ज्योतिष में ही सुझाए उपायों से उसे सुलझाने और उन परिस्थितियों से निपटने में खुद को सक्षम भी पाएंगे।
– हिंदू धर्म में शादी तय करने से पहले लड़की और लड़के की कुंडली का मिलान करने की प्रथा प्रचलित है। यहां तक कि कुंडली पढ़ने के आधार पर ही विवाह का सही मुहूर्त और तिथि तय की जाती है।
– किसी व्यक्ति की कुंडली भविष्य में आने वाली चुनौतियों और अवसरों को दर्शाती है। यानी यह आपको भविष्य के उतार-चढ़ाव के लिए तैयार करने में मदद करती है।
– जन्म कुंडली आपको अच्छी तरह से जागरूक रखती है और इस प्रकार यह न केवल अपने लिए बल्कि, आपके प्रियजनों के लिए भी बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है।
– सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपनी जन्म कुंडली को पढ़ने का तरीका जानकर आप अपने कॅरियर के विकल्प भी आसानी से चुन सकते हैं।

कुंडली सीखने का पहला चरण

अपना लग्न चिन्ह जानें

अपनी कुंडली को पढ़ने का प्रयास करते समय सबसे सरल और सबसे महत्वपूर्ण कदम है अपना लग्न चिह्न खोजना। ज्योतिष में लग्न राशि को लग्न भी कहा जाता है। आपकी लग्न राशि को केंद्र मानकर कुंडली तैयार की जाती है। आपके जन्म के समय आपकी कुंडली के पहले भाव में जो भी राशि है, वही आपकी लग्न राशि बन जाती है।

कुंडली में पहला भाव, जिसे आप स्वयं का यानी खुद का भाव भी कह सकते हैं। यह व्यक्ति के शरीर, प्रसिद्धि, शक्ति, चरित्र, साहस, ज्ञान और इसी तरह के लक्षणों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि आपकी लग्न राशि ही आपके अस्तित्व को परिभाषित करती है। इसलिए कुंडली तैयार करते समय सबसे महत्वपूर्ण बात पर विचार करना चाहिए।

याद रखें ये जरूरी बातें
– किसी की कुंडली में ग्रहों को अंकों (1-12) और घरों को रोमन संख्याओं के माध्यम से दर्शाया या प्रदर्शित किया जाता है। यहां ध्यान से पढ़ें…

– मेष राशि को नंबर 1 से दर्शाया जाता है।
– वृषभ राशि को नंबर 2 से दर्शाया जाता है।
– मिथुन राशि को नंबर 3 से दर्शाया जाता है।
– कर्क राशि को 4 अंक से दर्शाया जाता है।
– सिंह राशि को नंबर 5 से दर्शाया जाता है।
– कन्या राशि का नंबर 6 होता है।
– तुला राशि को नंबर 7 से दिखाया जाता है।
– वृश्चिक को नंबर 8 से दिखाया जाता है।
– धनु राशि को नंबर 9 से प्रदर्शित किया जाता है।
– मकर राशि को नंबर 10 से दर्शाया जाता है।
– कुंभ राशि को नंबर 11 से दर्शाया जाता है।
– तो मीन राशि का नंबर 12 है।

यहां जानें लग्न राशि का महत्व

ज्योतिष में हर राशि का एक शत्रु ग्रह और मित्र ग्रह माना जाता है। जैसे जब मेष राशि की बात आती है, तो इसका एक शत्रु ग्रह है शनि। इसीलिए यदि हमारे जन्म के समय, शनि मेष राशि के साथ पहले भाव में बैठा हो, तो आपका जीवन बेहद कठिन दौर में गुजरता है। क्योंकि जैसा हमने कहा कि आपका लग्न भाव आप सभी का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें शत्रु ग्रह की स्थिति हानिकारक हो सकती है। किन्तु यह सदा के लिए ऐसा ही रहेगा यह जरूरी नहीं है।

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