दरअसल, काबुल हवाई अड्डे पर आइएस-के ने आत्मघाती विस्फोट किया, जिसमें अमरीकी सैनिक भी मारे गए थे। इस हमले के कुछ दिनों बाद अमरीका ने ड्रोन हमला किया था। अब अमरीकी सेंट्रल कमांड की जांच में पाया गया कि 29 अगस्त के हमले में एक सहायताकर्मी व 7 बच्चों सहित उसके परिवार के नौ सदस्यों की मौत हो गई। सबसे छोटी बच्ची सुमाया महज दो साल की थी। हमले के परिणामों ने अफगानिस्तान में अमरीका के भविष्य के आतंकवाद विरोधी अभियानों की सटीकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अमरीका पीडि़तों को मुआवजा देने पर विचार कर रहा है।
भारत में गिरफ्तार था काबुल हमले का आतंकी –
नई दिल्ली. आइएस-के ने अपनी प्रोपेगेंडा मैगजीन में यह दावा किया है कि काबुल एयरपोर्ट का सुसाइड बॉम्बर अब्दुर रहमान अल-लोगरी भारत में पांच साल पहले गिरफ्तार किया गया था। वह ‘कश्मीर का बदलाÓ लेने दिल्ली गया था। सजा काटने के बाद लोगरी को अफगानिस्तान भेज दिया गया था।
तालिबान ने खत्म किया महिला मंत्रालय –
तालिबान ने महिला मंत्रालय ही खत्म कर दिया है। इसकी जगह ‘मिनिस्ट्री ऑफ प्रमोशन वच्र्यू एंड प्रिवेंशन ऑफ वाइस’ होगा। यह ‘नीति मंत्रालय’ मोरल पुलिसिंग का काम करेगा।
केवल लड़कों के लिए ही खोले गए स्कूल-
तालिबान सरकार ने कक्षा 6 से 12वीं तक स्कूल खोलने के आदेश दे दिए हैं लेकिन छात्राओं का जिक्र नहीं है। आदेश में कहा गया है कि शिक्षकों और छात्रों को स्कूल जाना चाहिए।
बैक्ट्रियन गोल्ड सोने के खजाने की खोज –
काबुल । तालिबान के सूचना और संस्कृति मंत्रालय ने कहा है कि उन्होंने बैक्ट्रियन खजाने का पता लगाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसे ‘बैक्ट्रियन गोल्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। ये करीब दो हजार साल पहले तक छह कब्रों के भीतर रखे गए थे। इनमें सोने की वस्तुओं की भरमार थी। अफगानिस्तान में चार दशक पहले शेरबर्गन जिले के तेला तपा इलाके में यह खजाना मिला था। सांस्कृतिक आयोग के उप प्रमुख अहमदुल्ला वासीक ने कहा, अगर इसे देश से बाहर ले जाया जा चुका तो ये राजद्रोह होगा और हम इस पर कार्रवाई करेंगे।