नई दिल्ली। तालिबान ने भी पाकिस्तान को करारा झटका दिया है। धारा 370 को हटाए जाने के बाद से बौखलाए पाकिस्तान को दो टूक जवाब मिला है कि अफगानिस्तान और कश्मीर मुद्दे को एकसाथ न जोड़ा जाए। तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्लाह मुजाहिद के अनुसार कश्मीर मुद्दे को अफगानिस्तान से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। मगर इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल अफगानिस्तान के अलावा तालिबान किसी और मुद्दे में पड़ना नहीं चाहता है। पाकिस्तान चाहता है तालिबान के जरिए अमरीका पर दबाव बनाया जा सके। इस तरह से अमरीका कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है।
यूएनएससी ने पाकिस्तान को दिया झटका, 370 पर बात करने से किया इंकारगहरे संकट में इमरान सरकार इमरान सरकार इस समय गहरे संकट में है। कश्मीर में धारा 370 को हटाने के बाद से उसे इसके विरोध में किसी देश का साथ नहीं मिला है। कई आतंकी और अलगाववादियों की गिरफ्तारी के कारण उसे अब डर सताने लगा है कि कही पीओके भी उसके हाथ न निकल जाए। इसलिए वह दुनिया को कश्मीर के मुद्दे पर उलझाए रखना चाहती है। बता दें कि बीते कई सालों से तालिबान पाकिस्तान को अपना संरक्षक मानता रहा है।
धारा 370 पर पुनर्विचार करे भारत, तो हम राजनयिक संबंधों को बहाल करने की समीक्षा करेंगे: पाकिस्तानकश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप का दबाव बनाना चाहता है पाक पाकिस्तान ने तालिबान को अपनी सरजमीं पर पलने-बढ़ने और प्रशिक्षण का मौका दिया है। इसके अलावा खूंखार आतंकी संगठन के लड़ाकों और कमांडरों को पैसा तक मुहैया कराया है। तालिबान के साथ निकट संबंधों के कारण ही पाकिस्तान को अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में हिस्सा बनने का मौका मिला है। ऐसे में वह अमरीका पर दबाव बनाना चाहता है कि वह कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप करें।
हामिद करजई ने भी दी नसीहत इस मामले अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने भी पाकिस्तान को नसीहत दी है कि वह क्षेत्र में हिंसा फैलाने के लिए साजिश न रचे। करजई ने ट्वीट कर कहा अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया को कश्मीर में अपने उद्देश्य से जोड़ना, यह बताता है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को महज एक रणीनीतिक उपकरण के तौर पर देखता है।