मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि सत्ता के लिए हो रहे इस संघर्ष में तालिबान के दो गुटों के समर्थक आपस में लड़ पड़े। एक गुट का साथ हक्कानी नेटवर्क ने दिया, जिसके बाद अखुंदजादा और बरादर को नुकसान उठाना पड़ा। यही नहीं, मैग्जीन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हाल ही में तालिबान के दोनों गुटों के बीच बैठक हुई थी। इस बैठक में हक्कानी नेटवर्क के भी कई नेता शामिल थे।
मैग्जीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इस बैठक के दौरान एक समय ऐसा भी आया, जब हक्कानी नेता खलील उल रहमान हक्कानी अपनी कुर्सी से उठा और उसने मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए। बताया जा रहा है कि मुल्लाह बरादर लगातार तालिबान सरकार के कैबिनेट में गैर तालिबानियों और अल्पसंख्यकों को भी जगह देने का दबाव बना रहा था, जिससे दुनिया के दूसरे देश तालिबानी सरकार को मान्यता देने के लिए आगे बढ़ें।
बैठक में हुई झड़प के बाद बरादर कुछ दिनों के लिए लापता हो गया था और अब उसे कंधार में देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, बरादर ने आदिवासी नेताओं से मुलाकात की है, जिसका समर्थन उसे मिल रहा है। हालांकि, रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि मुल्लाह बरादर पर दबाव बनाकर उससे वीडियो संदेश जारी कराया गया था। इस वीडियो संदेश से ही ऐसे संकेत मिले कि उसे बरादर को बंधक बना लिया गया है।
-
वहीं, अखुंदजाता के बारे में बताया गया है कि अभी तक यह पता नहीं लग सका है कि वह कहां है, मगर काफी समय से वह भी दिखाई नहीं दे रहा है और न ही उसका कोई संदेश जारी हुआ है। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है अखुंदजादा की मौत हो गई। बहरहाल, तालिबान में इससे पहले कुर्सी के लिए ऐसा संघर्ष देखने को नहीं मिला था। तालिबान और हक्कानी नेटवर्क वर्ष 2016 में एक साथ आ गए थे। बरादर चाहता था कि वह इस बार तालिबानी शासन की कुछ अलग तस्वीर पेश करे, लेकिन हक्कानी नेटवर्क को यह मंजूर नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की सूची में खलील हक्कानी आतंकी घोषित किया हुआ है।