महत्वपूर्ण है यह यात्रा राष्ट्रपति मून की पहली भारत यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। भारतीय नेताओं के साथ मून की बातचीत के दौरान द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। बता दें कि यह राष्ट्रपति मून की पहली भारत यात्रा है। अपनी यात्रा के दौरान दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति 9 जुलाई को भारत-कोरिया बिजनेस फोरम में भाग लेंगे। उसी दिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मून ‘गांधी स्मृति’ की यात्रा करेंगे। इसके बाद राष्ट्रपति मून उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित एक सैमसंग संयंत्र भी जाएंगे।
हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में बम की अफवाह से मचा हड़कंप, गाड़ी रोक ली गई तलाशी 10 जुलाई को होगा औपचारिक स्वागत राष्ट्रपति मून का 10 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत के साथ दिया जाएगा। इसके बाद प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति मून की नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में आधिकारिक शिखर वार्ता होगी। जिसके बाद पीएम मोदी दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के सम्मान में दोपहर का भोज भी देंगे। दोनों नेता भारत-दक्षिण कोरिया सीईओ राउंड टेबल कांफ्रेंस को भी संबोधित करेंगे। दोनों देशों के बीच कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविेश कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आधिकारिक वार्ता के बाद मून की राजकीय यात्रा के दौरान विभिन्न समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। उसी दिन मून भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मिलेंगे। राष्ट्रपति भवन में भी मून और उनके प्रतिनिधिमंडल के लिए एक भोज आयोजित किया जाएगा। 11 जुलाई को मून का दौरा समाप्त हो जाएगा।
महत्वपूर्ण सहयोगी हैं भारत और दक्षिण अफ्रीका विदेश मंत्रालय के अनुसार दक्षिण कोरिया भारत का घनिष्ठ व्यापारिक और रणनीतिक सहयोगी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार “हम उम्मीद करते हैं कि यात्रा विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में नई साझेदारी को जन्म देगी।। कोरिया गणराज्य भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। पिछले साल हमारे द्विपक्षीय व्यापार में 20 अरब डॉलर की बढोतरी हुई है।”
महबूबा मुफ्ती की मोदी सरकार को धमकी, पीडीपी में सेंध लगी तो भुगतना होगा गंभीर परिणाम बता दें कि डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी सरकारी योजनाओं में दक्षिण कोरिया प्रमुख भागीदार है। इसके अलावा भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दक्षिण कोरिया द्वारा 10 बिलियन डालर की एक व्यवस्था की गई है। 2015 में प्रधान मंत्री मोदी सियोल गए थे। उनकी इस यात्रा से भारत-दक्षिण कोरिया संबंधों को विशेष रणनीतिक साझेदारी तक लाने में मदद मिली।