दरअसल, ताबिलानी सरकार गठन की कोशिश दो बार पहले भी हुई, लेकिन आपासी मतभेदों, पद की लड़ाई और तालिबान व हक्कानी नेटवर्क के बीच विवाद के कारण यह प्रक्रिया सफल नहीं हो पाई। पाकिस्तान ने तमाम कोशिशों के बाद हक्कानी नेटवर्क से जुड़े लोगों को भी सरकार में शीर्ष पद दिला ही दिया। यह बात तालिबान के शीर्ष नेताओं को नागवार गुजरी है और तब से ही तालिबान और हक्कानी के बीच मनमुटाव तेज हो गया है।
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तालिबान के जिन दो नेताओं के गुम होने की खबरें सामने आ रही हैं, उनमें इस चरमपंथी समूह का सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा और मौजूदा सरकार में उप प्रधानमंत्री मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर शामिल है। दावा किया जा रहा है कि ये दोनों कई दिनों से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए हैं। लिहाजा, इनके लापता होने के बाद से कयासबाजियों और अफवाहों का सिलसिला जारी है।
दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि तालिबान का सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा तब से लापता है, जब से इस चरमपंथी आतंकी समूह ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है। वैसे, नई सरकार के गठन के बाद हैबतुल्लाह की तरफ से सिर्फ एक बयान जारी किया गया था, वह भी वीडियो संदेश या प्रेस कांफ्रेंस के जरिए नहीं। तालिबान बार-बार यह कह रहा है कि अखुंदजादा जल्द ही सामने आएगा, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।
तालिबान का प्रवक्ता और मौजूदा सरकार में उप सूचना मंत्री जबिउल्लाह मुजाहिद ने एक प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही थी कि वह ठीक है और जल्द ही सार्वजनिक तौर पर पेश होगा। हालांकि, देखा जाए तो अखुंदजादा आज तक सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया है। उसकी सिर्फ तस्वीर सामने आई है।
इसके अलावा, तालिबान सरकार में उप प्रधानमंत्री मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर के बारे में भी बीते एक हफ्ते से चर्चा है कि उसका हक्कानी नेटवर्क के साथ किसी बात को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों गुटों के बीच फायरिंग हुई, जिसमें बरादर या तो गंभीर रूप से घायल हुआ है या फिर उसकी मौत हो गई है।
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हालांकि, अफवाहों का बाजार गर्म हुआ तो तालिबान ने इस पर सफाई पेश की है। तालिबान ने एक आडियो संदेश जारी किया और कहा कि बरादर बिल्कुल ठीक है और यह उसका ताजा संदेश है। लेकिन लोग अब भी सवाल यह खड़े कर रहे हैं कि बरादर यदि ठीक है, तो सार्वजनिक रूप से सामने क्यों नहीं आ रहा या फिर उसने वीडियो संदेश क्यों नहीं दिया।