कश्मीर की लड़ाई में हमेशा रूकावट बना पाकिस्तान
साघीर ने बताया कि पाकिस्तान अपने एजेंडे के तहत बीते कई दशक से घाटी में आतंकवाद बढ़ाने का इस्तेमाल किया। साघीर के मुताबिक, ‘कश्मीर की आजादी के स्वदेशी आंदोलन को तोड़ने के लिए 1947 में पश्तून आदिवासी सेना भेजी गई थी। इसके बाद 1980 दशक के आखिर में जब एक बार फिर जम्मू-कश्मीर निवासियों ने एक और कोशिश की। इससे घबराए पाक ने 1989 में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन और जमात-उद-दावा का गठन करके उस कैंपेन को हाईजैक कर लिया।’
इमरान खान ने भी कबूली थी पाक में आतंकी होने की बात
आपको बता दें कि अपने अमरीका यात्रा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी ये स्वीकारा था उनके देश में करीब तीस से चालीस हजार आतंकी हैं। इन्हें कश्मीर और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके आगे कार्यकर्ता ने बताय पाक PoK को लॉन्चपैड की तरह इस्तेमाल कर रहा है। यहीं से कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराई जाती है। फिलहाल जैश बड़े पैमाने पर भारत में घुसपैठी करने की योजना में है।’
कार्यकर्ता ने कहा कि दुनिया का ध्यान इस वक्त कश्मीर घाटी पर है। लेकिन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी पूरी कोशिश कर रही है कि दुनिया का ध्यान यहां से हटे।