भारत और मालदीव के बीच चलेगी फेरी सर्विस, दोनों देशों के बीच कई अहम MoU पर हस्ताक्षर
इन विषयों पर हुआ करार
बता दें कि पीएम मोदी का मालदीव दौरा कई मायनों में अहम है। दरअसल पांच साल पहले जब मालदीव में आपातकाल लगा था तब भारत के साथ संपर्क टूट गया था और दोनों देशों के बीच दूरियां भी बढ़ने लगी थी। हालांकि 2018 में इब्राहिम सोलिह के राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में काफी प्रगति हुई है। लिहाजा अब भारत व मालदीव के बीच कई अहम मसलों पर द्विपक्षीय समझौते हुए हैं। इसमें सबसे बड़ी बात फेरी सर्विस है। साथ ही स्वास्थ्य, रक्षा, पर्यटन, कनेक्टिविटी और दोनों देशों के आपसी द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूती देने जैसे तमाम विषयों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अलावे बुनियादी सुविधाओं के निर्माण को लेकर भी चर्चाएं की गई है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति सोलिह ने MoUपर हस्ताक्षर किए हैं। पीएम मोदी ने मालदीव को भारत के करीब लाने के उद्देश्य से शनिवार को समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। चीन के कर्ज तले दबे मालदीव को भारत पहले ही 1.4 अरब डॉलर का बजटीय समर्थन दे चुका है। यह पोर्ट डेवलपमेंट, हेल्थ, एग्रीकल्चर, फिशरीज, टूरिज्म और एनर्जी जैसे क्षेत्रों में प्रोजेक्ट्स के अलावा ‘जन-केंद्रित और सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं सहित कई द्वीपों के लिए पानी और स्वच्छता’ से जुड़ा हुआ है, जो कि मार्च में हस्ताक्षरित $ 800 मिलियन लाइन ऑफ क्रेडिट के अलावा है। इसके अलावा ‘उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं’ के कार्यान्वयन के लिए $ 5.5 मिलियन के बराबर अनुदान सहायता और सामुदायिक बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन के लिए $ 6.9 मिलियन का नकद अनुदान, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण तक पहुंच को भी बढ़ाया है।
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मालदीव की संसद को संबोधित करने वाले दूसरे नेता हैं मोदी
पीएम मोदी मालदीव की संसद को संबोधित करने वाले दूसरे नेता हैं। इससे पहले 2011 में तत्कालीन पीएम जॉ. मनमोहन सिंह ( Dr. Manmohan Singh ) ने मालदीव की संसद को संबोधित किया था। मालदीव की संसद मजलिस को दुनिया के किसी भी नेता ने संबोधित नहीं किया है। 86 साल के इतिहास में केवल दो बार ही ऐसा हुआ है जब विदेशी मेहमान को मजलिस को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
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