‘हिंदू आतंकवाद’ के बारे में कोई बात नहीं करता
संयुक्त राष्ट्र महासभा से अलग पाकिस्तान और तुर्की द्वारा संयुक्त रूप से घृणास्पद भाषणा पर आयोजित गोलमेज बैठक में इमरान ने कहा, “आत्मघाती हमलों से जुड़े हिंदुत्व के बारे में कोई बात नहीं करता है।” आपको बता दें कि तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के साथ इमरान खान ने सम्मेलन को संबोधित किया।
दुनिया से घृणा को खत्म करने की जरूरत है- इमरान खान
गोलमेज में यूनाइटेड नेशंस अलायंस ऑफ सिविलाइजेशंस (यूएनएओसी) के उच्च प्रतिनिधि मिगुएल एंजेल मोराटिनोस ने भी अपनी बात रखी।उन्होंने कहा कि दुनिया से घृणा भाषण को खत्म करने की जरूरत है। इमरान खान ने कहा कि आतंकवाद से इस्लाम का रिश्ता 11 सितंबर, 2001 के हमलों के बाद से जुड़ गया और पश्चिमी देशों के नेताओं ने बार-बार इस्लामिक आतंकवाद और इस्लामिक कट्टरता जैसे शब्दों का उपयोग किया। उन्होंने कहा, “जब आप इस्लामिक कट्टरता शब्द का उपयोग करते हैं तो इसका मतलब है कि इस्लाम में कट्टरता पैदा करने जैसा कुछ है।”
इमरान ने क्यों कही ‘हिंदू आतंकवाद’ की बात
प्रधानमंत्री कार्यालय ने उनके बयान के हवाले से कहा, “किसी समुदाय के हाशिये पर आ जाने से कट्टरता जन्म लेती है।” उन्होंने कहा कि पूरे इतिहास में निराशाजनक इंसानों ने आत्मघाती हमले किए हैं। उन्होंने कहा, “ग्यारह सितंबर से पहले भी 75 प्रतिशत आत्मघाती हमले तमिल टाइगर्स ने किए थे, जो हिंदू थे। हिंदुओं से संबंधित आत्मघाती हमलों के मामलों में किसी ने बात नहीं की।”
उन्होंने कहा कि जब जापानी आत्मघाती हमलावरों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी जहाजों पर हमले किए, तो किसी ने उनके धर्म पर आरोप नहीं लगाया। उन्होंने कहा, “क्योंकि धर्म का इससे कोई लेना-देना नहीं है।” उन्होंने कहा, “लगभग सभी धर्म राजनीति से जुड़े हैं। यह राजनीतिक अन्याय है जो लोगों में निराशा पैदा करता है।”