पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को खान ने अरबों डॉलर वाली CPEC की ऊर्जा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के संबंध में एक विस्तृत जानकारी दी। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी होती आ रही है।
50 कर्मचारियों की नौकरियां लगी दांव पर
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सरकार की आपत्तियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के छह अरब डॉलर के कार्यक्रम के तहत संवर्धित राजकोषीय नियंत्रण के कारण यह रणनीतिक पहल पिछले साल भर से रुकी हुई है। सरकार की प्राथमिकताओं में बदलाव के कारण लगभग 50 कर्मचारियों की नौकरियां भी दांव पर लग गई हैं। ये कर्मचारी वर्तमान में CPEC सहायता सचिवालय परियोजना और CPEC सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत काम कर रहे हैं।
जमानत राशि की सीमा निर्धारित
IMF ने सरकार की जमानत राशि की एक सीमा निर्धारित की है। यह सीमा इस वित्त वर्ष के अंत तक 1.6 खरब पाकिस्तानी रुपये से अधिक नहीं हो सकती है और सरकार द्वारा बाहरी सार्वजनिक भुगतान बकाया के संचय पर भी निरंतर प्रतिबंध है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों की जानकारी
वहीं, वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इन प्रतिबंधों से CPEC की मेनलाइन-1 परियोजना जैसी बड़ी परियोजना के अनुबंध की सरकार की क्षमता प्रभावित हुई है। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन सभी लंबित मुद्दों के समाधान का संकल्प व्यक्त किया, जिनके कारण CPEC के क्रियान्वयन में देरी हुई है और ब्यूरोक्रेसी को जल्द से जल्द अड़चनें दूर करने के लिए कहा है।
परियोजना की खास बातें
गौरतलब है कि 60 अरब डॉलर वाली सीपीईसी बीजिंग की बेल्ट एंड रोड पहल की एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसका उद्देश्य राजमार्गों, रेल लाइनों और समुद्री लेन के विशाल नेटवर्क के माध्यम से एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ना है। आर्थिक गलियारा चीनी शहर काश्गर को अरब सागर पर स्थित पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है।