गैंगस्टरों द्वारा लोकतंत्र समर्थकों पर संदिग्ध हमले के बाद देश भर में हालात बेकाबू हो रहे हैं। ताजा संघर्ष में दर्जनों बेगुनाह लोग भी घायल हो गए हैं। इन घटनाओं के बाद इस चीनी शहर में एक राजनीतिक उथल-पुथल नाटकीय रूप से बढ़ गया है।
लोकतंत्र समर्थकों पर हमला
मार्च से वापस लौट रहे लोगों पर हांगकांग के यूइन लोंग जिले में एक रेलवे स्टेशन पर सशस्त्र नकाबपोशों की भीड़ ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया। सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई एक फुटेज में सफेद टी-शर्ट पहने लोगों ने प्लेटफॉर्म तथा ट्रेन की बोगियों में लोगों पर हमला कर दिया। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार देर रात हुई इस घटना में 45 लोग घायल हो गए।
तेज हुआ आंदोलन
चीनी शासन के खिलाफ सालों से बढ़ते जा रहे आक्रोश से पैदा हुआ यह विरोध-प्रदर्शन फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है। पुलिस और उग्र प्रदर्शनकारियों के बीच लगातार हिंसक झड़पों की घटनाएं सामने आती जा रही है।
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पिछले सात सप्ताह से हांगकांग में रैलियां आयोजित की जाती रही हैं और इसी कड़ी में रविवार को भी रैली निकाली गई। प्रदर्शनकारियों ने कई बार मार्च भी निकाला।
हालांकि लोगों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने फिलहाल प्रत्यर्पण बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। लेकिन इस बिल के कारण उपजे विवाद ने हांगकांग में हाल के वर्षों का सबसे गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों में हिंसक झड़प
रविवार को एक बार फिर से प्रदर्शनकारियों ने व्यापक स्तर पर प्रत्यर्पण बिल ( extradition bill ) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प भी हुई। पुलिस ने प्रदर्नशकारियों पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।
सिविल मानवाधिकार मोर्चा जो इस मार्च का आयोजक है, ने रविवार को बताया कि इस विरोध-प्रदर्शन में 430,000 लोगों ने भाग लिया, जबकि पुलिस ने इस आंकड़े को 138,000 बताया है।
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पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए जगह-जगह पर बैरिकेट किया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने कनॉट रोड सेंट्रल और कनॉट रोड वेस्ट के मुख्य मार्गों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों का एक और समूह संपर्क कार्यालय की ओर बढ़ा।
इसके बाद प्रदर्शनकारी भी अंतिम अपील के कोर्ट के बाहर एकत्र हुए, जहां पर पुलिस ने सभी को रोक दिया। जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों में हिंसक झड़प शुरू हो गई।
क्यों हो रहा है इस बिल का विरोध?
विशेषज्ञों का दावा है कि विवादित प्रत्यर्पण बिल पास होने से चीन सरकार कभी भी हांगकांग के लोगों को राजनैतिक या अनजाने में हुए व्यावसायिक अपराधों के चलते उन्हें अपने कब्जे में ले सकती है।
इस कानून के चलते हांगकांग के लोगों पर हर वक्त चीन की चपेट में आने का खतरा बरकरार रहेगा।
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साथ ही इससे शहर की अर्द्ध स्वायत्त कानून प्रणाली भी कमजोर होगी। यही नहीं संयुक्त राज्य अमरीका और यूरोपीय संघ (EU) ने भी इस बिल की आलोचना की थी।
हांगकांग स्थित EU कार्यालय ने इसके विरोध में आधिकारिक रूप से डिमार्श (विरोध पत्र) जारी किया है।
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