हिंदू नाम होने के कारण है बेरोजगार!
भारत के मुंबई में जहां एक मुस्लिम लड़की को धर्म की वजह से काम नहीं मिल पाता वहीं दूसरी ओर हिंदू भी अछूते नहीं हैं
अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव होना आज के विश्व की भयावह त्रासदियों में एक है। भारत के मुंबई में जहां एक मुस्लिम लड़की को धर्म की वजह से काम नहीं मिल पाता वहीं पाकिस्तान में अच्छे खासे पढ़े लिखे हिन्दुओं को भी नौकरी नहीं मिल पा रही है।
हाल ही में पाकिस्तान के पेशावर शहर की एक घटना सामने आई है जिसमें एक हिन्दू लड़की संध्या को एमएससी करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल पा रही है। ये भी तब है जबकि वह कान्वेंट स्कूल में पढ़ी है और एक शानदार एकेडिमक रिकॉर्ड मेंटेन करती है।
डिग्री लेकिन नौकरी नहीं
पेशावर के एक छोटे से लेकिन मशहूर मोहल्ले कालीबाड़ी में रहने वाले बिशन दास खाना पकाने का काम करते हैं। आमदनी कम होने के कारण वो अपने दिल की बीमारी का इलाज नहीं करा पा रहे हैं लेकिन उन्होंने बेटी को कांवेंट स्कूल में पढ़ाया और फिर यूनीवर्सिटी भेजा। संध्या ने यूनीवर्सिटी से एमएससी की डिग्री हासिल की। संध्या क़ाबिल तो हैं लेकिन उनके पास नौकरी नहीं है।
इस परिवार का कहना है कि हिंदू होने की वजह से संध्या को उसी स्कूल में काम नहीं मिल पाया जहां से उन्होंने पढ़ाई की थी। लेकिन हालात यही तक नहीं है वरन इससे भी भयावह है। जहां एक तरफ़ हिंदू नौजवानों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं तो वहीं क़ानून व्यवस्था भी कुछ बेहतर नहीं है। उन्हें भी आए दिन जबरन हिंसा, भेदभाव और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है।
किसी समय में हिंदू बहुल रहे पाकिस्तान में हिंदुओं का दबदबा था जो वक्त बदलने के साथ मुस्लिम देश बन गया। वर्तमान में यहां कुछ लाख परिवार हिंदू, सिख परिवार है जिनमें अधिकतर को कभी न कभी शोषण का शिकार होना पड़ा। इनके साथ हर रोज, हर जगह भेदभाव किया जाता है। पाकिस्तान समाज में एक तरह से अछूत बन चुके इन हिंदू परिवारों की शिकायत सुनने वाला न तो कोई है और न ही इनके पास कोई उम्मीद है।
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