ताइवान में राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव हर चार साल में होते हैं और अक्सर चीन (China) के साथ संबंध इनका मुददा होता है। बीच-बीच में विभिन्न पदों के लिए स्थानीय चुनाव होते हैं, बड़े शहरों में महापौर पदों से लेकर स्वदेशी प्रशासकों और ग्राम प्रधानों तक। ताइवान में जनमत संग्रह कानून भी हैं जो मतदाताओं को कई संवैधानिक मुद्दों पर निर्णय लेने में सक्षम करते हैं, जैसे शनिवार को होने जा रहे स्थानीय चुनाव में मतदान की उम्र 20 से घटाकर 18 करने और बढ़ती हुई महंगाई पर भी एक जनमत संग्रह शामिल है।
शनिवार के चुनाव, शहर के मेयर, काउंटी प्रमुखों और स्थानीय पार्षदों के लिए, घरेलू मुद्दों जैसे कि कोविड (COVID-19) महामारी और अपराध, महंगाई आदि पर है इसका देश की चीन पर नीति से सीधा कोई लेन—देन नहीं है। साइ इंग-वेन की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (Democratic Progressive Party) ताइवान को एक वास्तविक संप्रभु राष्ट्र मानती है, जिसमें चीन जैसे देश का कोई दखल न हो। वहीं, विपक्ष में कुओमिन्तांग पार्टी (Kuomintang Party) का वर्चस्व है, जो चीन के साथ मधुर संबंध बनाना चाहती है। दोनों ही पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं।
सबसे रोचक यह पहलू
जानना रोचक है कि अपने चुनाव प्रचार के लिए क्षेत्र में जा रहे लोगों का सब्जियां दिखाकर स्वागत हो रहा है। जैसे 60 वर्षीय के चिओंग-शू एक दशक से अधिक समय से राजधानी ताइपे के वूक्सिंग स्ट्रीट मार्केट में सब्जियां बेच रहे हैं। उसके जिले के कई उम्मीदवारों ने हाल के सप्ताहों में बाजार का दौरा किया है। उन्होंने अपने पसंदीदा उम्मीदवार को मूली और लहसुन दिया। न केवल सब्जी बाजार, बल्कि घरों की बालकनियों से भी प्रत्याशियों को सब्जियां या फल दिखाए जाते हैं और भेंट किए जाते हैं। नेता भी सब्जियों के साथ फोटो खिंचवाते हुए अपना कैम्पेन आगे बढ़ाते हैं।
2.3 करोड़ आबादी वाले लोकतांत्रिक द्वीप ताइवान की राजनीतिक संस्कृति भाग्यशाली प्रतीकों और अंधविश्वास से ओत-प्रोत है। लहसुन (Garlic) बेहद लोकप्रिय है क्योंकि जब ताइवान में बोली जाने वाली मंदारिन भाषा में इसका उच्चारण किया जाता है तो यह ‘चुने हुए’ (suan) शब्द की तरह लगता है। मूली (Daikon radish) के नाम का उच्चारण ‘सौभाग्य’ (tsai-tao) के रूप में होता है जबकि अनानास (pineapple) ‘समृद्धिशाली हो’ (ong-lai) के समान शब्द है।