अफगानिस्तान में प्रदर्शन कर रहे लोग मंगलवार को काबुल स्थित दूतावास भी पहुंचे। यहां पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। प्रदर्शनकारियों पर तालिबान ने फायरिंग की। हालांकि, इसमें हताहतों की पुष्टि अभी नहीं हुई है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल की सडक़ों पर हजारों महिला और पुरूष तालिबान और पाकिस्तान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। इन लोगों की मांग है कि अफगानिस्तान में स्वतंत्र सरकार चाहिए न कि पाकिस्तानी कठपुतली सरकार। लोग पाकिस्तान, अफगानिस्तान छोड़ो जैसे नारे लगा रहे हैं।
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बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के गठन में हो रही देरी के बीच पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख फैज हामिद 4 सितंबर को काबुल पहुंचे थे। हामिद तालिबान के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने हक्कानी नेटवर्क के नेताओं से भी मुलाकात की है। हामिद ने तालिबान से सरकार में हक्कानी नेटवर्क के उचित प्रतिनिधित्व के लिए बात की है।
पाकिस्तान पर तालिबान को समर्थन देने के आरोप लगते रहे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट में इस बात के सबूत भी पेश किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में सरकार को अस्थिर करके तालिबान को सहयोग करती रही है। अफगानिस्तान और अमरीका के साथ करीब 20 साल तक युद्ध करने के बाद पाकिस्तान अकेला ऐसा देश रहा, जिसने तालिबान का समर्थन किया। तालिबान लगातार पाकिस्तान को अपना दूसरा घर बताता रहा है।
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दूसरी ओर, अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज हुए करीब तीन हफ्ते का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक वहां सरकार गठन को लेकर तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच विवाद जारी है। खुद तालिबान में भी वर्चस्व की जंग हो रही है कि सरकार में सुप्रीमों की भूमिका किसकी होगी। वहीं, खबर यह है कि पाकिस्तान की मदद से ही एक छोटे-मोटे या यूं कह लें, जिसे दुनिया नहीं जानती, ऐसे में तालिबानी नेता मुल्ला हसन, अखुंद को राष्ट्रपति पद पर बैठाया जाएगा।, जिससे संगठन के दोनों धड़ों मे हो रही उठापटक पर विराम लगाया जा सके।