चीन की प्रसिद्ध सेंट्रल पार्टी स्कूल की पूर्व प्रोफेसर और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ( Chinese Communist Party ) की नेता काई शिया ने आरोप लगाया है कि शी जिनपिंग एक माफिया बॉस बनने की कोशिश कर रहे हैं। चीनी राष्ट्रपति की आलोचना करने वाला एक ऑडियो वायरल होने के बाद काई शिया को पार्टी से निकाल दिया गया है।
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अमरीका में रहीं काई शिया ( Chinese Professor Cai Xia ) ने 2019 में द गार्डियन से बात करते हुए कहा था कि शी जिनपिंग की शक्तियां असीमित हैं। देश के अंदर कोई भी उनका विरोध नहीं कर सकता है। उन्होंने पूरी दुनिया को अपना दुश्मन बना लिया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि शी देश के असल मुद्दों व समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाना चाहते हैं, इसलिए ऐसी हरकतें करते हैं और दुनिया को अपना दुश्मन बना लिया है। वे एक रणनीति के तहत ये सब कर रहे हैं।
कोरोना की जानकारी छिपाने का आरोप
काई शिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus Epidemic ) के लिए चीन जिम्मेदार है। चीन ने दुनिया को अंधेरे में रखा। वुहान में फैली इस महामारी की जानकारी समय रहते हुए नहीं दी गई, जिससे सभी को नुकसान पहुंचा है। इतना ही नहीं, चीन ने मौत के आंकड़ों को भी दुनिया से छिपाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि 7 जनवरी को ही चीन सरकार को कोरोना महामारी के बारे में पता चल गया था, लेकिन 20 जनवरी तक छिपाया गया और किसी को भी नहीं बताया।
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काई शिया ने कहा कि सरकार ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया और अब वह देश से बाहर रह रही हैं। ऐसे में वह चीन सरकार के खिलाफ बोलने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि उनके पिता चीन की स्वतंत्रता में सक्रिय रहे थे। इसलिए उन्हें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का आजीवन सदस्य बनाया गया था।
कम्युनिस्ट पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप
चीन मामलों के विशेषज्ञ और China Neican मीडिया आउटलेट के सह संस्थापक एडम नी का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण शी जिनपिंग की छवि खराब हुई है। साथ ही पार्टी पर से उनकी पकड़ ढीली हुई है। चीन के अंदर लोगों में भारी गुस्सा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग दुनिया में अपना दबदबा कायम करने की कोशिश में हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि चीन खुद टुकड़ों में बंटा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता आपस में विरोधाभाषी हैं।
एडम ने आगे यह भी कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। पार्टी के अधिकतर नेता भ्रष्टाचारी हैं। लिहाजा कोई भी राष्ट्रपति के खिलाफ नहीं बोलता है।