BRI के बहाने भारत को घेरने की कोशिश, पाकिस्तान के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहा है चीन
हांगकांग पर चीन का दावा
दक्षिण-पूर्वी चीन स्थित हांगकांग एक स्वायत्त क्षेत्र है जो पूर्व में ब्रिटिश उपनिवेश रहा है, लेकिन चीन इसे अपना बताता रहा है। हालांकि हांगकांग के लोग अपने को स्वतंत्र मानते हैं। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत हांगकांग पर अपना दावा जताता रहा है। चीन का कहना है कि हांगकांग को ब्रिटेन से 1843 में खरीदा था। चीन ने हांगकांग को ब्लैक वार जीतने के बाद लिया था। उसके बाद न्यू कोव लंच और लैंडो ने उसे 99 वर्ष कि लीज पर छोड़ा था। बाद में द्वितीय विश्वयुद्ध ( second world war ) के समय जापान ने उसे ले लिया था और जब जापान के सैनिक हार गए तो वहां क्रांति आ गई। ऐसा भी कहा जा रहा है कि 19 दिसंबर, 1984 को चीन और ब्रिटेन ने हांगकांग ट्रांसफर एक्सचेंज पर हस्ताक्षर किए थे। अभी वर्तमान समय में देखें तो हांगकांग की प्रशासनिक व्यवस्था ‘एक देश, दो नीति’ के अंतर्गत और बुनियादी कानून के अनुसार संचालित होता है। हांगकांग के सभी क्षेत्रों में ‘उच्च स्तर की स्वायत्तता’ प्राप्त है, केवल विदेशी मामलों और रक्षा को छोड़कर, जो जनवादी गणराज्य चीन सरकार की जिम्मेदारी है। हांगकांग की अपनी मुद्रा, कानून प्रणाली, राजनीतिक व्यवस्था, अप्रवास पर नियंत्रण, सड़क के नियम हैं और चीन से अलग यहां की रोजमर्रा के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलु हैं।
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