चीन ने रूस से तीन हफ्ते पहले ही अपने लोगों को वैक्सीन देनी शुरू कर दी थी। चीन और रूस की वैक्सीन में इस बात की समानता है कि दोनों ने जरूरी परीक्षण के मानकों को पूरा नहीं किया है। चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि उन्होंने कुछ स्वास्थ्यकर्मियों और सरकारी उद्यमियों और उनसे जुड़े कर्मचारियों को जुलाई के आखिर में आपातकालीन प्रयोग के तहत वैक्सीन की खुराक दी थी।
एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना वैक्सीन के आने का इंतजार कर रही है। वहीं चीन और रूस में इस तरह की वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू हो गया है। वे अब इसे दूसरे देशों को देने की तैयारी कर रहे हैं। इन्होंने अपना तीसरा सबसे अहम ट्रायल भी पूरा नहीं किया है। बीजिंग की तरफ से यह घोषणा बीते हफ्ते एक कूटनीतिक विवाद के बाद सामने आई है।
इस बात से अमरीका बेचैन हो गया है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमरीका की फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन बिना कोई जानकारी दिए कोरोना वैक्सीन को विकसित करने में देरी कर रहा है।
रूस ने 11 अगस्त को दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार करने का ऐलान किया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अनुसार उनके देश ने कोरोना की पहली वैक्सीन बना ली है। उन्होंने यहां तक दावा किया है कि उनकी बेटी को इसका टीका लगाया गया है और वे बेहतर महसूस कर रही हैं। इसके बाद हाल ही में रूस ने कोरोना की दूसरी वैक्सीन बनाने की भी घोषणा की है।