उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान में नरसंहार पर कई सालों से अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं। भारत के स्वतंत्रता दिवस पर जब पीएम मोदी ने अपने भाषण में जब बलूचिस्तान का नाम लिया तब से ही यह समझा जाने लगा कि भारत बलूच नेताओं के साथ है और वहां हो रहे मानवाधिकार हनन के खिलाफ साथ देने का तैयार है। इसी के साथ वहां के अलगाववादी नेता भी भारत की ओर आशा भरी नजरों से देखने लगे। बलूच नेता ब्रह्मदाग बुगती ने तो भारत में शरण लेने की बात भी कही।
इसी बीच दिवंगत बलूच कबायली नेता नवाब अकबर बुगती के पोते शाहजैन बुगती ने कहा है कि यदि भारत के साथ जंग होती है तो वह और उसके कबायली लड़ाके पाकिस्तान के साथ मिलकर भारतीय सेनाओं को जवाब देंगे। शाहजैन बुगती रिश्ते में ब्रह्मदाग बुगती के भतीजे हैं। जिनेवा में रह रहे शाहजैन ने जम्हूरी वतन पार्टी के सालाना सम्मेलन में कहा कि बुगती कबीला पाकिस्तान की रक्षा में हमेशा खड़ा रहेगा।
शाहजैन ने यह भी कहा कि ब्रह्मदाग भारत में रहें या जिनेवा में, लेकिन उनकी जम्हूरी वतन पार्टी हमेशा नवाब अकबर बुगती के हुक्क का पालन करेंगे। आपको बता दें कि अगस्त 2006 में अकबर बुगती के मारे जाने के बाद से ही उनके बेटों और पोतों में उत्तराधिकार की लड़ाई चल रही है। उत्तराधिकार की लड़ाई में शाहजैन और ब्रह्मदाग में प्रमुख दावेदार हैं जबकि आली बुगती को अकबर बुगती का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया गया है।