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गौरतलब है कि जिन मीडिया कार्यालयों ने यहां काम बंद करा है, उनमें से छह से अधिक तालिबान का समर्थन करते हैं। यह मीडिया हाउस तालिबान के मुखपत्र की तरह हैं। इन्हें तालिबानी गतिविधियों की आवाज के तौर पर आतंकी इस्तेमाल करते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हेलमंड, कांधार, बदखशां, तखर, बगलान, समंगन, बल्ख, सार-ए-पुल, जॉजवां, फरयाब, नूरिस्तान और बदगिल में ये मीडिया संस्थान संचालित हो रहे थे।
अप्रैल से अफगानिस्तान में एक हजार से अधिक रिपोर्टर व मीडिया कर्मियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है। इसमें 150 महिलाएं भी हैं। इस बीच हिंसा के बीच दो पत्रकारों की मौत हुई है। हिंसा में भारतीय फोटोजर्नलिस्ट दानिश सिद्दी की भी मौत हो गई।
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अफगानिस्तान में हो रही हिंसा पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। आपको बता दें कि दो दशकों से मौजूद अफगानिस्तान की फौजे अब पलायन कर रही हैं। ऐसे में तालिबान देश पर हावी होता जा रहा है। उसने कई क्षेत्रों पर अपना कब्जा कर लिया है। अमरीकी फौज अगस्त के अंत पूरी तरह से यहां से जाने की तैयारी में जुटीं हैं। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इसकी घोषणा कर चुके हैं।