पिछले कुछ उदाहरणों के कारण कहा जाता है कि मुख्यमंत्री रहते यदि यहां पर कोई नेता आया तो उसकी कुर्सी चली जाती है। अब तक प्रदेश के करीब आठ मुख्यमंत्री यहां आने के बाद अपनी कुर्सी खो चुके हैं। जो मुख्यमंत्री रहते शहर में आए, लेकिन कुछ समय बाद या फिर अगले चुनाव में फिर से मुख्यमंत्री नहीं बने। 15 नवंबर को यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ शहर में आकर चुनावी सभा करेंगे।
शहर में आए इन आठ मुख्यमंत्रियों की जा चुकी है कुर्सी
लोगों का कहना है कि वर्ष 1975 में मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी कांग्रेस के राज्य अधिवेशन में शामिल होने यहां आए थे, जो कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री पद से हट गए। वहीं 1977 में मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल तुलसी सरोवर का लोकार्पण करने आए, इसके बाद मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी आए। वहीं 1983 में मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राजीव गांधी के साथ आए थे, 1986 में मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा प्लेटफॉर्म पर ओवरब्रिज का भूमिपूजन करने आए, 1992 में मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा व 2003 में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह यहां ज्योतिरादित्य के साथ आए थे। कहा जाता है कि यहां से जाने के बाद यह सभी मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी खो चुके।
सीएम शिवराजसिंह चौहान भी नहीं आए
योगी आदित्यनाथ की सभा के लिए भाजपा में तो उत्साह है, लेकिन शहर में योगी की सभा कराने से जिले के योगी समर्थकों में नाराजगी दिख रही है। उनका कहना है कि शिवराजसिंह चौहान 16 साल से अधिक समय से मुख्यमंत्री हैं, लेकिन वह भी मुख्यमंत्री रहते हुए कभी अशोकनगर शहर नहीं आए, यदि कभी आए तो आसपास के गांवों में आकर कार्यक्रम किए। योगी समर्थकों का कहना है कि पहले शहर से तीन किमी दूर सभास्थल तय हुआ था, लेकिन अब बीच शहर में सभास्थल बना दिया गया है।
15 नवंबर को सुबह 10 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अशोकनगर की पुरानी कृषि मंडी में सभा करेंगे। वह साहसी व्यक्ति हैं और इन बाधाओं को नहीं मानते, न हीं मेरी पार्टी का कोई व्यक्ति इस बात पर भरोसा करता है। वह तो संत आदमी हैं और शिवराज सिंह भी शहर में आ चुके हैं।
-आलोक तिवारी, जिलाध्यक्ष भाजपा