जैन युवा वर्ग के अध्यक्ष विजय धुर्रा ने बताया कि समारोह संत आचार्य श्री के दीक्षा के पचास वर्ष पूरे होने पर गुरू गुणानुवाद को हम सांस्कृतिक रूप उनके जीवन की विशिष्ट घटनाओ से जोड़कर मध्यमो से लेकर आये है। इस दौरान समारोह में संगीतमय प्रस्तुति देते हुये नगर के युवा शैलेन्द्र श्रृंगार के गीत छुकछुक छुकछुक ट्रेन चली है जीवन की गीत के साथ मुनि श्री अभय सागरजी महाराज की पिच्छिका को रेलगाड़ी के माध्यम से लाया गया।
जिसे नगर के सभी वाल व्रह्मचारियों ने स्वीकार कर उसको विमोचित कर पूज्य मुनि श्री को संयम को स्वीकार करते हुये नौ परिवारों ने पूज्य मुनि श्री के कर कमलों भेंट की। वहीं संत प्रभात सागर जी की पिच्छिका को ऐरावत हाथी अपनी सूंड़ पर लेकर आता हैं। जिसमें विद्याधर की विनौली मे श्रेष्ठी वर्ग नाचते गाते झुमते हुये आगे आगे चल रहे थे। इस अवसर पर नगर की चातुर्मास कमेटी, समवसरण विधान समिति, शीतलविहार न्यास, सकल दि. जैन समाज समिति के पदाधिकारी उपस्थित रहे। जिनमें विजय जैन धुर्रा, शैलेन्द्र श्रृंगार, विनोद मोदी, उमेश सिंघई, अकिंत सन्तूरा, सुलभ अखाई, मन्टू छाया, मोहित मोहरी, सौरभ वर्तन, दिलीप खजुरिया, सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।
पिच्छिका परिवर्तन ऐसे भी होता है: अभयसागरजी
मुनि श्री अभयसागर महाराज ने कहा कि पिच्छिका परिवर्तन एक बंद कमरे में भी हो सकता हें, लेकिन यह कार्यक्रम संयमोत्सव के रुप में मनाया जाता है। इसमे भी आचार्य श्री के संयम स्वर्ण महोत्सव को जोड़कर यह प्रस्तुति दी है। यह बच्चे बहुत मेहनत करके पिच्छिका परिवर्तन जैसे कार्य को भी भव्यता दे सकते है।
इसी भावना के साथ मुनि श्री ने मयूर पिच्छिका के गुणों को बताते हुये कहा कि जैसे मुनिराज का मन बहुत ही कोमल होता हैं, उसी प्रकार यह पिच्छिका भी बहुत कोमल होती हैं धूल रोधी अत्यंत हल्की साधु इसे हमेशा अपने पास रखते है।
अशोकनगर के युवाओ से हो गई है रिश्तेदारी
समारोह में अपना संक्षिप्त आशीर्वाद देते हुये मुनिश्री पूज्यसागर महाराज ने कहा कि अशोकनगर के जैन युवा वर्ग के ये कार्यकर्ता बहुत मेहनत से महीनों से पिच्छिका परिवर्तन की तैयारियां करते रहते है। मुनिश्री प्रभात सागरजी महाराज ने कहा कि २०१६ का चातुर्मास अशोकनगर में हुआ तब से ही इनसे रिश्तेदारी हो गई है।