भगवान गणेश प्रतिमा का हर साल बढ़ रहा आकार, अनूपपुर के धरहरकला में स्थापित है प्राचीन श्रीगणेश मंदिर
अनूपपुर. जिले के पुष्पराजगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम धरहरकला में स्थापित प्राचीन श्रीगणेश का एकमात्र मंदिर लोगों के लिए गणेशोत्सव पर आस्था का केंद्र बन जाता है। वैसे तो यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है लेकिन गणेश उत्सव के दौरान दूर-दूर से यहां भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद लेने श्रद्धालु पहुंचते हैं। बताया […]
अनूपपुर. जिले के पुष्पराजगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम धरहरकला में स्थापित प्राचीन श्रीगणेश का एकमात्र मंदिर लोगों के लिए गणेशोत्सव पर आस्था का केंद्र बन जाता है। वैसे तो यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है लेकिन गणेश उत्सव के दौरान दूर-दूर से यहां भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद लेने श्रद्धालु पहुंचते हैं। बताया गया कि कल्चुरी कालीन श्री गणेश की यह मूर्ति दक्षिण मुखी है जो प्रतिवर्ष अपना आकार बदलती जा रही है। वर्तमान में प्रतिमा का आकार लगभग ८ फिट बताया जा रहा है। पूर्व में यह मूर्ति खुले स्थान में थी पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं ने मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर में नियमित रूप से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि जब उन्होंने यहां पूजा अर्चना करने के लिए आना शुरू किया था तब मंदिर में रखी गणेश जी की मूर्ति का आकार कम था लेकिन धीरे-धीरे इसका आकार बढ़ता जा रहा है। मंदिर में हैं ब्रह्मा, विष्णु व महेश की प्राचीन मूर्तियां मंदिर के आस-पास कल्चुरी कालीन शंकर, ब्रम्हा, विष्णु जी की प्रचीन मूर्तियां भी स्थापित हैं। गणेश मंदिर के पूर्व तरफ गौरी कुंड है जहां 12 महीने शीतल जल मौजूद रहता है। गौरी कुंड के समीप ही शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित है। पुरातत्व विभाग अब इस मंदिर की धरोहर को बचाने में जुटी है तथा मंदिर को भव्य बनाने का प्रयास कर रही है। घने जंगल के बीच एकांत में स्थित है गजानन का मंदिर ग्राम धरहर कला में घने जंगलों के बीच एकांत में यह मंदिर स्थित है जो कि प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। अमरकंटक मां नर्मदा के दर्शन करने के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु सबसे पहले धरहर गणेश मंदिर पहुंचकर प्रथम पूज्य भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं इसके बाद ही यहां से अमरकंटक के लिए रवाना होते हैं।
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