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अनूपपुर जिले के पावन पथरा ग्राम में मिले श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के पदचिन्ह

कोतमा. जिले के कोतमा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सीतामढ़ी के निकटतम स्थान ग्राम रेउसा के पावन पथरा चरण तीर्थ में रामायण काल के दौरान श्री राम के चरणों के निशान मिले हैं। लोगों का मानना है कि रामायण काल के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने सीतामढ़ी और पवन पथरा चरण तीर्थ में अपने […]

अनूपपुरJan 03, 2025 / 11:57 am

Sandeep Tiwari

कोतमा. जिले के कोतमा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सीतामढ़ी के निकटतम स्थान ग्राम रेउसा के पावन पथरा चरण तीर्थ में रामायण काल के दौरान श्री राम के चरणों के निशान मिले हैं। लोगों का मानना है कि रामायण काल के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने सीतामढ़ी और पवन पथरा चरण तीर्थ में अपने वनवास का कुछ समय व्यतीत किया था। साथ ही महाभारत काल के दौरान राजा विराट की नगरी में अज्ञातवास के दौरान भीम, नकुल और सहदेव के अल्पकालीन निवास की कुछ किस कहानियां चरण तीर्थ से जुड़ी हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर स्थित सीतामढ़ी ग्राम जहां श्री राम के आगमन के कुछ सबूत मिले थे। वहीं से चंद किलोमीटर की दूरी में रेउसा ग्राम के पावन पथरा चरण तीर्थ में रामशिला, लक्ष्मणशिला, पांडवशिला आदि के साथ दर्जनों चरण के निशान (पद चिन्ह) पंच कुंड, एक गुफा और एक बावड़ी प्राचीन काल की मिली है। इन्हें रामायण और महाभारत काल से जोड़ा जा रहा है। रेउसा ग्राम के ग्रामीणों ने चरण तीर्थ स्थल पर पूजा पाठ और यज्ञ आरंभ किया है। लोग इसे चरण तीर्थ के नाम से पुकार रहे हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के दर्जनों ऐसी जगह हैं, जहां प्रभु राम के आगमन के कुछ ना कुछ निशान मिले हैं जिसके बाद छत्तीसगढ़ शासन ने सीतामढ़ी से यात्रा भी प्रारंभ की थी। वैसे ही जिले के रेउसा ग्राम स्थित चरण तीर्थ में प्रशासन से संरक्षण और अनुदान की मांग की गई है। जगदगुरु श्री रामललाचार्य जी महाराज ने जगह को संरक्षण देते हुए धार्मिक स्थल को विकसित करने की मांग की है।
फरवरी में श्रीराम कथा व यज्ञ का आयोजन

फरवरी में पावन पथरा चरणतीर्थ में जगदगुरु श्री रामललाचार्य महाराज मानाश पीठ खजूरी ताल द्वारा राम कथा का वाचन व यज्ञ किया जाएगा। साथ ही नौ दिवसीय रामलीला का आयोजन भी होगा। कोतमा विधानसभा का यह स्थान ग्रामीणों के धार्मिक आस्था का केंद्र बन चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर उक्त जगह से संगीत की धुन या कभी ऋषि मुनियों के दर्शन भी प्राप्त होते हैं। गुफा के अंदर बनी हुई बावड़ी वर्षों पुरानी है जिसे अभी ग्रामीणों ने साफ कराया है।

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