22-23 अप्रैल की रात हाथियों ने पुष्पराजगढ़ के अहिरगवां वनपरिक्षेत्र के तरंग से दर्जनों गांव की सीमा लांघते हुए अब राजेन्द्रग्राम वनपरिक्षेत्र के बेनीबारी-करनपठार बीट क्रमांक पीएफ 112 अतरिया के जंगल में अपना डेरा जमाया है। वहीं हाथियों के राजेन्द्रग्राम पहुंचने पर वनविभाग अमला सतर्क हो गया है, वन अधिकारियों व कर्मचारियों ने आसपास के गांवों में पहुंचकर मुनादी कराते हुए सतर्कता बरतने की अपील की है।
वहीं अतरिया के जंगल में ठहरे हाथियों के झुंड पर वन अधिकारियों ने निगरानी बना रखा है। वनपरिक्षेत्र अधिकारी राजेन्द्रग्राम एके निगम ने बताया कि दो दिन पूर्व बुढार (शहडोल) से हाथियों के झुंड ने अहिरगवां रेंज से प्रवेश करते हुए राजेन्द्रग्राम के चौरादादर, लमसराई की सीमा में प्रवेश करते हुए तरंग की ओर वापसी कर गया था। जहां तरंग में रात बिताने के बाद अगली सुबह अहिरगवां के कातुरदोना में समय व्यतीत किया। लेकिन इसके बाद हाथियों ने कातुरदोना से आगे बढऩे की बजाय विपरीत दिशा में रास्ता अपनाते हुए पुन: राजेन्द्रग्राम की ओर वापसी किया है।
वनपरिक्षेत्र सहायक अहिरगवां राजू ने बताया कि पिछले 23 दिनों में हाथियों ने पहली बार एक रात में सबसे अधिक दूरी तय की है। अधिकारी के अनुसार कातुरदोना से अतरिया पहुंचे तीनों हाथियों ने लगभग दर्जनभर गांव की सीमा को लांघते हुए एक रात में 30 किलोमीटर लम्बी दूरी का सफर तय किया है। इसका मुख्य कारण क्षेत्र में हाथियों को मिल रही अपर्याप्त भोजन और पानी है। अनूमन नर हाथी एक रात में ज्यादा से ज्यादा 15-20 किलोमीटर लम्बी दूरी तय करते हैं, लेकिन पहली बार इतनी लम्बी दूरी तय की है। रास्ते में नगमाला में एक ग्रामीण के घर को नुकसान पहुंचाया है। वहीं माना जा रहा है कि हाथी पुराने रूट पर ही अब वापसी भी कर रहे हैं।