रामकुंवर के बेटे के सुनील ने बताया कि बंदर पिता जी के साथ खाना खाता था, जिसके चलते पिता उसे दोस्त की तरह मानते थे। जो कुछ वो खाते वही बंदर को भी खिलाते थे। मंगलवार को पिता की मौत के बाद जब हम लोग उनके शव के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। तभी बंदर वहां पहुंच गया और पिता की अर्थी से लिपट गया। बंदर की आंखों में आसूं थे। लोगों को रोते देख वो जमीन पर लेट गया और दुख में शामिल हो गया।
सुनील ने बताया कि बंदर लगभग 2 घंटे तक पिता के शव के पास बैठा रहा। उसके बाद जब हम लोग अर्थी उठाकर अंतिम संस्कार के लिए गंगा की कटरी पर जाने लगे तो बंदर भी अर्थी के ऊपर बैठ गया। हम लोगों ने हटाया लेकिन वो अर्थी से लिपटा रहा। उसके बाद गाड़ी में ही अर्थी के साथ घर से 40 किमी दूर गंगा घाट तक गया। जहां वह अर्थी के पास गंगा किनारे काफी देर तक बैठा रहा।
जब रामकुंवर के शव को मुखाग्नि दी गई तो पास में मौजूद रहा। जब चिता की आग शांत हुई तब हम लोग घर लौटने लगे। हम लोगों के साथ उसी गाड़ी पर बैठकर बंदर हमारे घर तक आया। उसके बाद पास ही बाग में चला गया। बुजुर्ग और बंदर की ये दोस्ती देखकर अंतिम संस्कार में आए लोगों ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाया, जो आज सामने आया है।