पाक मेें लगी है प्रदर्शनी
प्रदर्शनी में प्रस्तुत एक विशाल चित्र में उनकी उदासियों के दौरान अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम से पुकारे जाने की जानकारी बेहद खास है। इस चित्र में इन नामों का जिक्र होने के साथ भारत के लगभग 20 से अधिक सूबों में उनके जाने का विवरण भी अंकित है। पंजाब डिजिटल लाइब्रेरी के कार्यकारी निदेशक दविंदर पाल सिंह ने बताया कि बाबा नानक जी के जीवन से संबंधित अहम जानकारियों को इस प्रदर्शनी में शामिल करने की कोशिश की गई है, जिनके बारे में अब तक संगत को नहीं पता है। यह प्रदर्शनी संगत को बेहद पसंद आ रही है।
गुरूनानक ने पैदल चल कर ही फैलाया था संदेश
प्रथम पातशाही श्री गुरु नानक देव जी को 10 से ज्यादा देशों में 14 नामों से पुकारा जाता है। पाकिस्तानी उन्हें नानकशाह कहते हैं, तो भारत के वे गुरु नानक देव जी हैं। तिब्बत में यह नानकलामा से पुकारे गए तो रूस में नानक कमदार के तौर पर विख्यात हुए। गुरु नानक देवी जी को नेपाल में नानक ऋषि, भूटान और सिक्किम में नानक रिपोचिया, श्रीलंका में नानकचार्या रूस में नानक कमदार, चीन में बाबा फूसा, ईराक में नानक पीर, मिस्त्र में नानक वली तो सऊदी अरब में प्रथम पातशाही वली हिंद के नाम से जाना जाता है। भाई मरदाना जी की रबाब की धुनों पर एक ओंकार में लीन बाबा नानक जी ने चार उदासियों में पूरी दुनिया में इस संदेश को पहुंचाया था, वो भी पैदल चलकर। इन उदासियों के दौरान वह जहां-जहां भी गए, वहां इन्हें अलग-अलग नामों से जाना गया।