आपको बता दें कि सबसे पहले इस सीट से पूर्व पीएम इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के बेटे संजय गांधी ने चुनाव लड़ा था। हालांकि पहला चुनाव वह हार गए लेकिन 1980 से लेकर 1991 तक लगातार चार चुनाव में गांधी परिवार ने लड़ा और जीत दर्ज की। 1980 में संजय गांधी (Sanjay Gandhi) जीते और उनके निधन के बाद भाई राजीव गांधी (Rajeev Gandhi) यहां से लगातार तीन बार जीते। राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस पार्टी ने अमेठी में संजय गांधी के कर्ताधर्ता रहे सतीश शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया और उन्होंने जीत दर्ज की।
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1998 में एक बार फिर सतीश शर्मा को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया लेकिन इस बार बीजेपी के संजय सिंह ने हराकर चुनाव में जीत दर्ज की। इसके बाद 1999 में लोकसभा चुनाव हुआ तो सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद अमेठी की सत्ता 2004 से राहुल गांधी ने संभाली और उसके बाद से लगातार तीन चुनाव राहुल गांधी यहां जीता। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को स्मृति ईरानी ने हरा दिया। गांधी परिवार को यह हार करीब 42 साल बाद झेलनी पड़ी थी। अब जब राहुल गांधी को वायनाड का उम्मीदवार बनाया गया है तो यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे? अगर ऐसा होता है तो पार्टी 28 साल बाद गांधी परिवार से बाहर किसी को अमेठी सीट से अपना उम्मीदवार बनाएगी।