आरिफ ने पत्रिका उत्तर प्रदेश से बातचीत के दौरान सारस के खाने पीने को लेकर भी चिंता व्यक्त की। आरिफ ने कहा “एक साल में सारस हमारे घर का सदस्य बन चुका था। उसे हमने कभी बांधकर नहीं रखा। वह खुली हवा में आजाद होकर घूमता था। उसका जब मन करता, वह खेतों और जंगल की ओर अपने अन्य साथियों से मिलने पहुंच जाता था, लेकिन शाम को वापस आ जाता था। अब पता नहीं उसे खाने में वन विभाग के कर्मचारियों ने क्या दिया होगा? सारस दाल, चावल, साग और रोटी खाता है। उसे सही से भोजन मिलता रहे, उसे कैद में न रखा जाए, बस हमारी यही मांग है।”
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सारस को किचन में बंद करके क्यों रखा गया है?पत्रिका उत्तर प्रदेश से बातचीत के दौरान आरिफ ने सोशल मीडिया पर कैंपेन चला रहे लोगों से भी मदद मांगी है। आरिफ ने कहा “मुझे नहीं पता सारस किस हाल में होगा। सोशल मीडिया और अन्य लोगों से पता चला है कि सारस को समसपुर पक्षी विहार में बने एक किचन में बंद करके रखा गया है। वह जब हमें मिला था, तब उसकी एक टांग टूटी थी। हम उसे अपने घर ले आए, यहां देसी तरीके से उसकी सेवा कर उसे ठीक किया। इस दौरान उसे कभी बंद करके रखने की जरूरत नहीं पड़ी। वह आजाद पक्षी है। उसे आजाद रहने दें, हमारी दोस्ती को पता नहीं किसकी नजर लग गई। आप लोग प्लीज मेरा सपोर्ट कीजिए।”
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अखिलेश भइया के आने के बाद ही सारस क्यों ले गए?आरिफ का कहना है “अखिलेश यादव क्षेत्र में आए थे। जहां उन्होंने आरिफ और सारस से भी मुलाकात की। इसकी पहले से कोई तैयारी नहीं थी, न ही मुझे इसकी सूचना थी। अखिलेश यादव अचानक आए। सारस और उनसे मिलकर खुशी व्यक्त की और चले गए। इसके बाद अचानक वन विभाग के अधिकारी घर पहुंच गए, और बोले कि ऊपर से आदेश है। सारस को हमें पक्षी विहार में छोड़ना होगा।” आरिफ आगे बताते हैं ”ऐसा नहीं है कि पहले वन विभाग के अधिकारी यहां नहीं आए। वे पहले भी आते थे, सारस के बारे में पूछताछ करते थे, लेकिन कभी ले जाने की बात नहीं की। फिर अचानक अखिलेश यादव के आते ही वे सारस को लेकर चले गए, यह बात समझ नहीं आई।”
href="https://www.patrika.com/lucknow-news/amethi-resident-arif-and-saras-s-friendship-has-broken-8116674/" target="_blank" rel="noopener">…तो क्या अखिलेश यादव बन गए आरिफ और सारस की दोस्ती टूटने की वजह?
मेरी इतनी अच्छी दोस्ती किसी इंसान से नहीं हुई…आरिफ कहते हैं, “मेरा तो ये सोच-सोचकर मन बैठा जा रहा है कि घर पर मैं क्या करूंगा? हर जगह वो मेरे साथ होता था। अब नहीं होगा। मेरी थाली में ही खाना खाता था। मेरी गाड़ी के पीछे उड़ता था। अब वो मेरे पीछे नहीं रहेगा तो उसकी कमी खलेगी। गांव में साथ-साथ घूमता था। मेरी इतनी अच्छी दोस्ती किसी इंसान से भी नहीं हुई, जितनी सारस से हो गई। कभी-कभी तो मेरे साथ ही सो जाया करता था। मुझे लगता है कि हम दोनों की दोस्ती को किसी की नजर लग गई है।” उन्होंने वन प्रभागीय अधिकारी के उस बयान को झूठा बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि गाड़ी में बैठाते समय सारस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। आरिफ ने क्या कहा, आइए जानते हैं।
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रास्ते भर मैं उसके सिर पर हाथ फेरता रहा…आरिफ बताते हैं “जब वन विभाग की टीम गाड़ी से सारस को लेकर आगे बढ़ी तो वो चिल्लाने लगा। इसके बाद उन लोगों ने मुझे भी साथ चलने के लिए बोला। मैं भी ये सोचकर अपने दोस्त के पास बैठ गया कि इसी बहाने कुछ देर का साथ और सही। रास्ते भर मैं उसके सिर पर हाथ फेरता रहा। उसको प्यार करता रहा। वो भी मुझे देख रहा था। एक घंटे में हम लोग रायबरेली पहुंच गए। वहां मैंने अपने दोस्त को गाड़ी से उतारा। वो लोग मेरे दोस्त को पानी पिला रहे थे लेकिन उसने नहीं पीया। बाद में मेरे हाथों से उसने पानी पीया। मैं वहां भी जहां-जहां जा रहा था पीछे-पीछे आ रहा था। ये देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा था। हमेशा सलामत रहे यही मेरी दुआ है।”
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21 मार्च को आरिफ से अलग किया गया था सारसअमेठी के प्रभागीय वन अधिकारी डीएन सिंह ने बताया कि उन्होंने 14 मार्च को प्रधान मुख्य संरक्षक वन्यजीव को पत्र लिखकर राज्य पक्षी को उसके पता अनुसार समसपुर पक्षी विहार रायबरेली भेजे जाने की अनुमति मांगी थी। 20 मार्च को वहां से अनुमति मिल गई। इसके बाद 21 मार्च को वन विभाग सारस को अपने साथ ले गया और रायबरेली के समसपुर पक्षी विहार छोड़ दिया गया।