सत्ता में वापसी के बाद और भी ताकतवर हुए मोदी, दुनिया में बढ़ा कद
वाशिंगटन पोस्ट ने जताई चिंताअखबार लिखता है कि पॉपुलिज्म की तरफ बढ़ते मोदीअब अपनी नीतियों में आमूल-चूल बदलाव कर सकते हैं। लेख में कहा गया है कि मोदी इस चुनाव में मॉस लीडर बनकर उभरे हैं और इसका असर उनकी नीतियों पर जरूर पड़ेगा। चूँकि उन्हें वोट करने वाले मतदाताओं में कट्टर हिन्दुओं की संख्या अधिक है इसलिए मोदी अब पॉपुलिज्म की तरफ कदम उठा सकते हैं। लेख में अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मोदी की तारीफ की गई है लेकिन इस बात के लिए उनकी निंदा की गई है कि उन्होंने दूसरे सुधारों को टाल दिया है। इसमें भूमि और रोजगार से जुड़े सुधार शामिल हैं। लेख में बताया गया है कि मोदी ने हर साल 1 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था लेकिन असलियत इसके उलटी है। आरोप लगाया गया है कि उनके पहले कार्यकाल में विकास दर सुस्त पड़ गई है और बेरोजगारी दर काफी बढ़ गया है जो 45 सालों में सबसे अधिक है।
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कट्टर एजेंडे को आगे बढ़ाया’वाशिगटन पोस्ट के मुताबिक मोदी ने गैर-उदारवाद के एजेंडा को आगे बढ़ाया। खुद पीएम रहते हुए मोदी ने गैर उदारवार रवैये को आगे बढ़ाया है। मोदी ने भारतीय मीडिया को नापसंद करने का आरोप लगते हुए इस बात पर निशाना साधा गया है कि पीएम रहते हुए उन्होंने एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की। वाशिंगटन पोस्ट ने जो सबसे बड़ा आरोप लगाया है, वह यह है कि मोदी ने अपनी आलोचना करने वाले पत्रकारों और एनजीओ कर्मियों पर दबाव बना रहे थे। अखबार ने आरोप लगाया है कि भाजपा और मोदी ने देश के 18 करोड़ मुसलमानों की कोई चिंता नहीं की है। मस्जिद तोड़ने के लिए भाजपा की आलोचना करते हुए अखबार ने लिखा है कि राम मंदिर का निर्माण शुरू से भाजपा की नीति रही। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और समझौता ब्लास्ट का जिक्र करते हुए अखबार लिखता है कि ‘इस बार संसद में चुनी गई एक प्रतिनिधि पर आतंकी हमले का आरोप है जिसमें बेगुनाह मुसलमान मारे गए थे।’
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