रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की हार की बड़ी वजहों में उनका लीक से हटकर चलना एक अहम वजह माना जा रहा है। हालांकि इसी दम पर उन्होंने अपना पहला चुनाव भी जीता था, लेकिन इस बार बाजी पलट गई।
कोरोनावायरस को डोनाल्ड ट्रंप का गलत तरीके से हैंडल करना भी अहम कारण है। ट्रंप ने महामारी पर पहले तो चीन को घेरा और फिर लाखों लोगों के मरने की भविष्यवाणी की। राज्यों के गवर्नरों से लॉकडाउन को लेकर भिड़े।
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था में थोड़ी बढ़ोतरी तो हुई है लेकिन कोरोना काल में अमेरिका की अर्थव्यवस्था को गहरी चोंट पहुंची है जिसकी वजह से देश को अघोषित मंदी का भी सामना करना पड़ा है। लिहाजा असर वोटिंग पर दिखा।
ट्रंप के कार्यकाल में जितनी हिंसा या हत्याएं हुईं ट्रंप ने हर बार अपना पल्ला झाड़ लिया। ट्रंप ने इन्हें घरेलू आतंकवाद तक कह डाला। इसकी ठीकरा भी विरोधियों पर फोड़ा।
ऐशियाई देशों के वोटर्स निर्णायक भूमिका के वोटर्स माने जाते हैं। इसके लिए ट्रंप ने कार्यक्रम तो खूब बनाए लेकिन नीतियां नहीं। एच-वन-बी वीजा के खिलाफ फैसले ने उन्हें भारतीयों से दूर कर दिया।
डोनाल्ड ट्रंप ने जिस आक्रामक रवैये से कुछ मुद्दों के साथ कई मानदण्डों के खारिज किया वो लोगों को रास नहीं आया। उनके इस तरीके ने जनता को उनसे दूर कर दिया।
ट्रंप ने एक बार फिर नस्लीय तनाव का मजाक बनाया। , ट्विटर पर नस्लवादी भाषा का इस्तेमाल करते हुए काले लोगों को बदनाम करने के साथ गोरे वर्चस्ववादी लोगों की आलोचना ना करना महंगा पड़ गया।
अमरीका जनता ने ये भी नोटिस किया कि उनका राष्ट्रपति भाषा पर काबू नहीं रख पाता। दिग्गजों को वो भद्दी उपाधियां दे डालाता है। जैसे पूर्व वकील माइकल कोहेन को एक बार ‘चूहा’ कहकर बुलाना लोगों के पसंद नहीं आया
जनता के साथ-साथ ट्रंप के समर्थक भी ये मानने लगे थे कि उनका रवैया तानाशाह जैसा है। अपनी हार को ना पचा पाने वाला उनका बयान इसी का हिस्सा था। जब तेजस्वी यादव के लिए आए थे 40 हजार से ज्यादा शादी के प्रस्ताव, जानें किस आईपीएल टीम के लिए चार वर्षों तक खेले
महिलाओं में डोनाल्ड ट्रंप को लेकर काफी नाराजगी सुनने को मिली थी और शायद इसी वजह से पेंसिल्वेनिया, मिशीगन, विस्कॉन्सिन में जीत के साथ-साथ एरिजोना और जॉर्जिया में भी जो बाइडन को बढ़त हासिल हुई।