अंबिकापुर नगर निगम की जनसंख्या जहां वर्ष 2011 में जहां 1 लाख 21 हजार 71 थी, वहीं वर्ष 2020 में बढक़र यह जनसंख्या 1 लाख 95 हजार 575 हो गई है। आंकड़ों के अनुसार लगातार शहर की जनसंख्या बढ़ती ही जा रही है, लेकिन जल के स्रोत लगातार घटते जा रहे हैं।
बांक नदी की स्थिति बेहद चिंताजनक
बांक नदी कभी शहर की सभी जरूरतों को पूरा करती थी, आज इस पर बढ़ती आबादी का बोझ आ गया है। एक आंकड़े के अनुसार बांक नदी पूरी तरह से अब नाले में परिवर्तित हो चुकी है और उसके चारों तरफ लोगों ने कब्जा कर उसके बहाव को भी रोक दिया है। अब बांक नदी का एक फीसदी पानी भी मानवीय प्रयोग में नहीं आता है।
कांक्रीटीकरण एक बड़ी वजह
ग्राउंड वाटर की रिचार्जिंग और इसके लेवल में गडबड़ी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। राजीव गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भूगोल विभाग के डॉ. रमेश जायसवाल ने बताया कि पहले शहर की जनसंख्या कम थी, लेकिन समय के साथ शहर की जनसंख्या काफी बढ़ गई है।
पेड़ों की अंधाधुध कटाई से बढ़ी परेशानी
डॉ. रमेश जायसवाल ने बताया कि शहर में पहले काफी हरियाली नजर आती थी लेकिन विकास के नाम पर न केवल अंबिकापुर बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई व उस स्तर पर पौधरोपण नहीं होने की वजह से शहर का जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। पिछले वर्षों में हुई बारिश की तुलना की जाए तो काफी कम बारिश भी लगतार गिरते जलस्तर की मुख्य वजह है।
० ग्राउंड वाटर का बेतहाशा दोहन
० वाटर रिचार्जिंग की समस्या
० बांक नदी व तालाबों का घटता क्षेत्रफल
० डीप ट्यूबवेल के कारण जल का मनमाफिक दोहन होना
० सबसे अधिक नमनाकला व नवागढ़ क्षेत्र में गिरा पानी का जलस्तर