दो दिन से मोबाइल नंबर पर स्वजनों से संपर्क साधने के प्रयास में पुलिस लगी थी। कई बार प्रयास करने के बाद भी नवजात के स्वजनों के मोबाइल नंबर पर संपर्क नहीं हो पाया। कवरेज क्षेत्र से बाहर होने का संदेश बार-बार मिलने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पुलिस सहायता केंद्र प्रभारी ने विजयनगर चौकी प्रभारी से संपर्क साधकर इसकी जानकारी दी।
इस पर चौकी प्रभारी द्वारा नवजात को छोडक़र जाने वाले दंपति का पता लगवाया और उन्हें अस्पताल में छोड़े गए नवजात के मृत होने की जानकारी देकर बच्चे के शव को लेकर कफन-दफन करने की समझाइश दी गई। पुलिस की समझाइश के बाद स्वजन मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे और बच्चे के शव को लेकर रवाना हुए।
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महुआ-धान बेचकर पहुंचे शव लेने मृत बच्ची के पिता रविंद्र गुप्ता ने कहा कि उनकी पत्नी ने 22 मई दो जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया था। एक बच्ची का वजन काफी कम था, इसलिए उसे अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कर लिया गया था। रुपए नहीं होने के कारण उन्हें दिक्कत हो रही थी। इसे देखते हुए वे एक बच्ची को लेकर अपने गृहग्राम चाकी आ गए थे।
यहां आने के बाद एक क्विंटल धान और 50 किलो महुआ बेचकर रुपये की व्यवस्था उन्होंने की। इसी बीच उन्हें सूचना मिली कि अस्पताल में भर्ती बच्ची की मौत हो गई है।
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यह था मामलाप्रसूता गायत्री गुप्ता पति रविंद्र गुप्ता 40 वर्ष बलरामपुर जिले के पुलिस चौकी विजयनगर क्षेत्र के रहने वाले हैं। महिला को प्रसव पीड़ा की स्थिति में स्वजन 19 मई को रामानुजगंज स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए, यहां से जांच के बाद 20 मई को बलरामपुर लेकर गए। 20 मई की शाम को स्वजनों के साथ प्रसूता मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर पहुंची।
22 मई को महिला ने जुड़वा बच्चों (Twin daughters) को जन्म दिया। इसके बाद रुपए खत्म होने की बात कहते हुए वे जुड़वा बच्चों में एक बच्ची के स्वस्थ होने की स्थिति में 25 मई की सुबह लेकर घर चले गए। इसके बाद दंपति नहीं पहुंचे, वहीं नवजात ने उपचार की प्रक्रियाओं के बीच दम तोड़ दिया। स्वजनों के नहीं रहने के कारण अस्पताल के कर्मचारी की ओर से इसकी सूचना अस्पताल के पुलिस सहायता केंद्र में दी गई थी।