गौरतलब है कि दुर्लभ सफेद कौवा (White crow) जगदलपुर जिले के दलपत सागर से लगे धरमपुरा इलाके में करीब एक साल से घूम रहा है। जीव विज्ञानियों का कहना है कि यह इलाका इसके रहने के अनुकूल है, क्योंकि यह क्षेत्र बड़े पेड़ों से आच्छादित है तथा यहां कच्चे व पक्के मकान भी हैं। पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि दुर्लभ सफेद कौवे देश के अन्य हिस्से में भी मिल चुके हैं, संभवत: यह छत्तीसगढ़ का पहला मामला है।
जीव विज्ञानियों का यह कहना
दुर्लभ सफेद कौवे (Rare White Crow) के रंग को लेकर जीव विज्ञान विशेषज्ञ का कहना है कि ल्यूसिस्टिक का मतलब रंग कणिकाओं का कम होना होता है। कौवे के पंख व चमड़ी में मिलेनिन कणिकाएं कम हो जाती हैं इस कारण ये सफेद दिखते हैं।
आवाज में भिन्नता, अध्ययन की जरूरत
कौवे की आवाज कर्कश होती है। सफेद कौवे को लेकर पक्षी विज्ञानियों का कहना है कि इस कौवे की आवाज में भी थोड़ी भिन्नता महसूस की जाती है लेकिन रिकॉर्डिंग करने वाले यंत्र से इसके अध्ययन की जरूरत है।