हम बात कर रहे हैं मैनपाट के रोपाखार स्थित पाताल तोड़ कुआं (PatalTod well) की। गर्मी में अच्छे-अच्छे जलस्रोत सूख जाते हैं लेकिन पाताल तोड़ कुआं की खासियत यह है कि यहां किसी भी मौसम में जमीन के भीतर से एक मोटी धार में पानी आता है। पाताल तोड़ कुएं की इस खासियत के कारण पर्यटन की दृष्टि से इसे संरक्षित व विकसित किया जा रहा है।
ऐसे पड़ा इसका नाम
मैनपाट (Mainpat) के रोपाखार पंचायत में वर्ष 1965 में तिब्बतियों ने ढोढ़ीनुमा एक प्राकृतिक जल स्रोत की पहचान की थी। चूंकि पाताल से यहां निरंतर पानी आ रहा है।
विज्ञान के जानकारों का ये है कहना
वनस्पति विज्ञान शास्त्री ने बताया कि गुरूत्वाकर्षण शक्ति (Gravitational force) के कारण इस तरह की घटनाएं होती हैं। यहां पानी गुरूत्वाकर्षण के विपरीत प्रभाव के कारण ऊपर की ओर निरंतर प्रवाहित हो रहा है। पानी के चट्टान व बालू की वजह से छनकर आने से पूरी तरह से शुद्ध है।
ये भी एक वजह
भूगोल के अनुसार इसे प्रवाहित जल कहा जाता है, जो 24 घंटे निरंतर बहता रहता है। यह जल का वह भाग है जो पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ज़मीन के क्षेत्रों से होता हुआ अंत में नीचे जाकर ठोस चट्टानों के ऊपर इक_ा हो जाता है।